कालरात्रि स्वरूपा मां विंध्यवासिनी खोलती हैं सिद्धियों के द्वार

मीरजापुर। शारदीय नवरात के सातवें दिन बुधवार को भक्तों ने पापियों का संहार करने वाली देवी मां कालरात्रि के दर्शन कर स्वयं को कृत्तार्थ किया। मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद से ही मंदिर पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। बुधवार भोर की मंगला आरती के बाद गर्भगृह का पट खुलते ही मां की एक झलक पाकर भक्त निहाल हो गए। अष्टभुजा और काली खोह मंदिरों पर पहुंचकर दर्शनार्थियों ने दर्शन पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की।

श्रद्धालुओं ने भोर में गंगा स्नान करने के बाद मां विंध्यवासिनी का विधि विधान से दर्शन पूजन किया। इसके बाद अष्टभुजा एवं कालिखोह मंदिर में दर्शन पूजन कर भक्तों ने त्रिकोण परिक्रमा की। श्रद्धालुओं की भीड़ से समूचा विध्यधाम पटा रहा। रेलवे स्टेशन एवं रोडवेज परिसर में भी बड़ी संख्या में यात्री वाहनों के इंतजार में बैठे रहे।

विध्य कारिडोर निर्माण से भक्तों को संकरी गलियों से निजात मिल गई है। अब भक्तों की विध्यवासिनी मंदिर से गंगा घाट व गंगा घाट से मंदिर पहुंचने की राह आसान हो गई है। साथ ही विध्यवासिनी मंदिर से गंगा दर्शन करना भी सुगम हो चुका है। पहले तो विध्यवासिनी मंदिर भी ठीक से नहीं दिखाई देता था, लेकिन अब प्राकृतिक फूलों, चुनरी व रंग-बिरंगी लाइटों से सजा विंध्यधाम अलौकिक छंटा बिखेर रहा है।

नवरात्र में लाखों भक्त मां के दरबार में आते हैं। भक्तों का कहना है कि यहां आने पर मन को शांति मिलती है। साथ ही मां उनकी मनोकामना भी पूर्ण करती हैं।

पापियों का संहार करने वाली हैं कालरात्रि
मां विंध्यवासिनी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली है। इसी कारण इनका नाम शुभकारी भी है। मां कालरात्रि पापियों का संहार करने वाली हैं।

तंत्र साधना में जुटे साधक
सप्तमी के समापन और अष्टमी के आगमन के काल को कालरात्रि की पूजा का विधान है। तंत्र साधना के लिए विध्यधाम के शिवपुर स्थित मां तारा मंदिर, अष्टभुजा, कालीखोह, भैरव कुंड व मोतिया तालाब पर तंत्र साधक साधनारत रहे।

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