धनुष यज्ञ और परशुराम लक्ष्मण संवाद को सुनकर श्रोता हुए भाव विभोर

कस्बे में चल रहा रामलीला मंचन

तिंदवारी (बांदा)। नगर में दुर्गा महोत्सव के उपलक्ष्य में हो रही 11 दिवसीय श्री रामलीला के तीसरे दिवस शनिवार को रात्रि में धनुष यज्ञ परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन किया गया। जहां जनक विलाप सुनकर सभी की आँखें नम हो गईं वहीं रावण,बाणासुर संवाद तथा परशुराम लक्ष्मण संवाद ने सभी दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

श्री रामलीला मंचन में शनिवार को धनुष यज्ञ, सीता स्वयंबर की लीला को देखने नगर तथा आस पास के गांवों से आए भगवत्प्रेमी दर्शकों से पांडाल में बनाई गई दर्शक दीर्घा, अतिथि दीर्घा खचाखच भरी रही। राम और लक्ष्मण द्वारा संध्या वंदन से लीला का प्रारंभ हुआ। राजा जनक ने भगवान शिव का धनुष तोड़ने वाले के साथ अपनी पुत्री सीता का विवाह करने की प्रतीज्ञा के साथ सीता स्वयंबर का आयोजन किया। श्री रामलीला मंच से प्रस्तुत नव रस की झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। वहीं रावण बाणासुर संवाद ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। कौमिक कलाकार अनू दीक्षित जहानाबाद ने पेटू राजा का किरदार पेश कर सभी को लोट पोट कर दिया।स्वयंबर में देश देशांतर के उपस्थित राजाओं ने धनुष को तोड़ना तो दूर उसे हिला भी न सके। राजा जनक ने प्रण पूरा न होते देख कहा-मांग भरी न कंगन बांधा, द्वार बजी न शहनाई। अजब तुम्हारी लीला भगवन बारात नहीं द्वारे आई।। राजा जनक का अभिनय कर रहे उत्तर भारत के विदेह सम्राट के नाम से सुप्रसिद्ध जनक अभिनेता पं. देवेश पांडेय द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण विलाप सुनकर दर्शकों की आंखों से अश्रु धारा बह निकली। जनक के द्वारा प्रस्तुत गीत “बेटी मात्र धरोहर होती, करना पड़ता इसका दान, सब दानों में दान श्रेष्ठ है महादान है कन्यादान ” ने दर्शकों को खूब रुलाया।

     सभी राजाओं के असफल हो जाने पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने मुनि विश्वामित्र की आज्ञा से शिव धनुष अजगव को तोड़ दिया। धनुष टूटते ही पूरा पंडाल प्रभु श्री राम के जयकारों से गूंज उठा। मिथिला के स्वयंबर प्रांगण में मौजूद महिलाओं ने मंगल गीत गाए। जनक नंदिनी जानकी ने प्रभु श्री राम को वरमाला पहनाई। नर नारियों ने राम और सीता की आरती उतारी। धनुष भंग की सूचना मिलते ही भार्गव परशुराम मिथिला पहुंच जाते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम विनय पूर्वक उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं। लेकिन परशुराम और क्रोध से भर जाते हैं। तभी लक्ष्मण उपहास की मुद्रा में कहते हैं कि हमने बचपन में बहुत सी धनुहीं तोड़ी लेकिन आपने ऐसा क्रोध नहीं किया। इस धनुष पर आपकी ममता क्यों है। ये मोह ममता ही दुख का कारण है। लक्ष्मण के ऐसे वचन सुनकर लाल पीले होते हुए परशुराम ने कहा कि तुम त्रिपुरारी के धनुष की तुलना धनुही से कर रहे हो। क्या तुम्हे काल के मुंह में जाना है। परशुराम अभिनेता सर्वेश द्विवेदी झलोखर तथा लक्ष्मण अभिनेता अभिषेक त्रिपाठी शिवली द्वारा प्रस्तुत उत्कृष्ट संवाद का रविवार 8 बजे प्रात: तक लोगों ने आनंद लिया। इस अवसर पर उपस्थित उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध परशुराम अभिनेता रहे पं. रामआशीष शुक्ला का कमेटी रामकार्यसेवक तथा चेयरमैन प्रतिनिधि रमेशचंद्र साहू द्वारा अंग वस्त्र भेंट कर सम्मान किया गया 

      इस अवसर पर कमेटी प्रबन्धक आनंद स्वरूप द्विवेदी, अध्यक्ष अनिल कुमार लखेरा, महामंत्री अरविंद कुमार गुप्ता, मुख्य सचेतक हरवंश श्रीवास्तव, राजन गुप्ता, धीरज गुप्ता, मनीष बजाज, व्यापार मंडल अध्यक्ष राहुल गुप्ता, रितेश गुप्ता, नमन गुप्ता, विनोद कुमार नामदेव, सुनेंद्र देवा सिंह, गोविंद तिवारी, शिवम द्विवेदी, कृष्णा सोनी, शोभित कुशवाहा, अथर्व गुप्ता आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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