उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रेम संबंधों में आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों के लेकर फैसला सुनाया है हाई कोर्ट के जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने श्रेय गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 12 साल तक बनाए गए दोनों पक्षों की सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को इस आधार पर रेप नहीं कह सकते हैं कि युवक और युवती के बीच शादी नहीं हुई है
कोर्ट ने रेप और जबरन वसूली के आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करते हुए कहा कि 12 साल से ज्यादा समय तक सहमति से चलने वाले संबंध को केवल शादी करने के वादे के उल्लंघन के आधार पर रेप नहीं माना जा सकता है कोर्ट ने सहमति की कानूनी व्याख्या, झूठे बहाने के तहत यौन शोषण के आरोपों पर लम्बे समय तक संबंधों के प्रभाव पर भारतीय कानून में सहमति से यौन संबंध और रेप के बीच अंतर को परिभाषित कर याची को राहत दी, उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया
पति की मौत के बाद भी चलता रहा रिश्ता
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की रहने वाली एक महिला ने आरोप लगाया, जिस दौरान उसका पति गंभीर रूप से बीमार था, उस दौरान याची श्रेय गुप्ता ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए उसने यह कहकर ऐसा रिश्ता लगातार बनाए रखा उसके पति की मौत के बाद उससे शादी कर लेगा
महिला के अनुसार, उसके पति की मौत के बाद भी ये रिश्ता जारी रहा, लेकिन याची ने आखिरकार 2017 में दूसरी महिला से सगाई कर ली याची की इसी वायदा खिलाफी को आधार बनाकर महिला ने इस शख्स पर बलात्कार समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया है पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है इसके बाद पुरुष ने हाईकोर्ट में अपील की है, जिसमें हाईकोर्ट ने उसे राहत दे दी है