परिवार की इकलौती इंजीनियर बेटी थी प्रतिक्षा
फतेहपुर-बाराबंकी। माया की चकाचौंध से प्रभावित होकर सांसारिक भोग विलास के प्रति आकर्षित होना यह सामान्य बात है। ज्यादातर लोग ऐसी ही जिन्दगी जीने के सपने पालते हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब कोई संपन्न व्यक्ति इस दुनिया में भोग-विलास के जीवन को त्यागकर आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ाने के लिए वैराग्य को अपनाता है।
ज्ञात हो विगत समय चातुर्मास के दौरान बाराबंकी में विमर्श सागर महाराज के प्रवचन सुनकर प्रतीक्षा जैन ने साध्वी बनने का प्रण लिया था। दीक्षा से पहले प्रतीक्षा जैन ने कहा, जनपद सीतापुर के कस्बा रामपुर मथुरा मेरा जन्म स्थान है। मेरे पिता जी दवा विक्रेता है। मेरा जन्म सन् 1988 में हुआ था। मैंने प्रारंभिक शिक्षा रामपुर मथुरा से ग्रहण की है।और इंटर की शिक्षा रामस्वरूप पब्लिक स्कूल लखनऊ व इंजीनियरिंग का कोर्स आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से किया है। कोरोना के समय अध्यात्म के प्रति मेरा रुझान बढा। दुनिया देखी है और शिक्षा ग्रहण कर इंजीनियरिंग की परीक्षा पास कर आर्किटेक्ट की डिग्री हासिल की। लेकिन मुझे संतो का सानिध्य और दीक्षा का मार्ग रास आया। इस भौतिक दुनिया को त्यागकर अध्यात्म की राह पर चलना मेरे लिए परमं आनन्द को प्राप्त करने जैसा होगा।