सागर दत्ता अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों पर हमले के बाद फिर काम बंद करेंगे जूनियर डॉक्टर

कोलकाता । सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शुक्रवार रात एक मरीज की मौत के बाद तनाव पैदा हो गया। आरोप है कि मरीज के परिवार के सदस्य अस्पताल की चौथी मंजिल पर जाकर जूनियर डॉक्टरों से मारपीट करने लगे। इस हमले के विरोध में डॉक्टरों ने सुरक्षा की मांग करते हुए हड़ताल शुरू कर दी है।

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट (डब्ल्यूबीजेडडीएफ) के कई प्रतिनिधि, जिनमें किंजल नंद और देवाशीष हालदार जैसे जाने-माने चेहरे शामिल थे, शुक्रवार रात अस्पताल पहुंचे। उन्होंने घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि सागर दत्ता अस्पताल के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। किंजल ने कहा कि अन्य अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर क्या कदम उठाएंगे, यह जनरल बॉडी की बैठक में तय किया जाएगा।

रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार रात एक गंभीर मरीज को सागर दत्ता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसकी हालत गंभीर थी। अचानक मरीज के रिश्तेदार, लगभग 20-25 लोग, अस्पताल की चौथी मंजिल पर पहुंच गए और वहां मौजूद जूनियर डॉक्टरों से मारपीट शुरू कर दी। महिला डॉक्टरों को उनके कमरों से बाहर खींचकर पीटा गया, और महिला वार्ड में तोड़फोड़ की गई। पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन स्थिति को नियंत्रित करने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस हमले में सात लोग घायल हुए, जिनमें जूनियर डॉक्टर, नर्स और एक पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।

घटना के बाद, पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई और चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। किंजल नंद ने कहा कि रात में एक गंभीर मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन उसके रिश्तेदारों ने अचानक चौथी मंजिल पर जाकर डॉक्टरों से मारपीट की। उन्हें अस्पताल में सुरक्षा की कमी पर सवाल उठाना चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी अस्पतालों में पर्याप्त सुरक्षा नहीं है।

किंजल ने सुरक्षा को लेकर कहा, “प्रशासन का कहना है कि उन्होंने कदम उठाए हैं, लेकिन डॉक्टरों पर हमला कैसे हुआ? महिला वार्ड में बाहरी लोग कैसे घुसे? आर.जी. कर की घटना भी सुरक्षा की कमी के कारण हुई थी, और अब भी ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं?”

उल्लेखनीय है कि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर पर हमले के बाद नौ अगस्त से डब्ल्यूबीजेडडीएफ आंदोलन कर रहा है। 42 दिनों तक हड़ताल के बाद आंशिक रूप से आंदोलन समाप्त किया गया था, लेकिन जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन अब भी जारी है।

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