युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने पर सीडीएस ने जोर दिया

  • सेनाओं के पहले ट्राई सर्विसेज फ्यूचर वारफेयर कोर्स का समापन

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मौजूदा प्रौद्योगिकी पर आधारित युद्धक्षेत्र में त्वरित निर्णय लेने के लिए भविष्य के रणनीतिक नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया है, जहां समय सीमा तेजी से कम होती जा रही है। शुक्रवार को संपन्न हुए प्रथम ट्राई सर्विसेज फ्यूचर वारफेयर कोर्स में समापन भाषण देते हुए सीडीएस ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और हाइपरसोनिक्स में प्रगति और रोबोटिक्स भी भविष्य के युद्धों के स्वरूप को निर्धारित करेंगे।

सीडीएस जनरल अनिल चौहान की देखरेख में मुख्यालय आईडीएस की ओर से आयोजित भविष्य के युद्ध पर अग्रणी पाठ्यक्रम आज संपन्न हुआ। भविष्य के पाठ्यक्रमों की संरचना और प्रारूप पर विचार-विमर्श करते हुए इस संक्षिप्त चर्चा में सीडीएस, सीआईएससी, तीनों सेनाओं के उप प्रमुख और डीसीआईडीएस डीओटी ने भाग लिया। जनरल चौहान ने भविष्योन्मुखी अभिविन्यास विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और रचनात्मकता के साथ भारतीय सशस्त्र बलों के परिवर्तन को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। सीडीएस ने क्रॉस डोमेन प्रभाव वाले एमयूएमटी और डेटा सेंट्रिक वारफेयर जैसी ट्राईसर्विस क्षमताओं को विकसित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। उन्होंने अभिनव होने और अवधारणाओं को संशोधित करने, संयुक्त सिद्धांतों को औपचारिक बनाने, प्रेरणों को तेज़ करने और आवश्यक उपाय करने की आवश्यकता पर जोर दिया जो हमें भविष्य के युद्धों में सशक्त बनाएंगे।

सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि गतिशील सुरक्षा परिवेश के साथ-साथ विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का प्रसार, युद्ध का बदलता स्वरूप तथा वर्तमान में जारी संघर्षों से मिली सीखों के कारण भविष्य के लिए ऐसे नेताओं को तैयार करना आवश्यक हो गया है, जो आधुनिक युद्ध की बारीकियों को समझने में सक्षम हों। ट्राई सर्विसेज फ्यूचर वारफेयर कोर्स में भविष्य के युद्ध, भविष्य के रुझान, वायु और अंतरिक्ष युद्ध, गैर-गतिज (काइनेटिक) युद्ध, समुद्री संचालन और बहु-डोमेन संचालन से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

पाठ्यक्रम के प्रमुख परिणामों में एकीकृत परिचालन अवधारणाएं, बढ़ी हुई संयुक्त सैन्य क्षमताएं, भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियां और तीन सेनाओं के मजबूत सहयोग शामिल हैं। यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को युद्ध के भविष्य का नेतृत्व करने और उसे आकार देने में सक्षम बनाएगा, जिससे उभरती चुनौतियों के लिए एकीकृत और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी। जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को सप्ताह भर चलने वाले इस कोर्स के परिणामों के बारे में जानकारी दी गई और बाद के कोर्स की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि इस कोर्स में रैंक की परवाह नहीं की गई है, जिसमें प्रतिभागियों की सेवा अवधि 13 से 30 वर्ष तक थी। फ्यूचर वारफेयर कोर्स का उद्देश्य आधुनिक युद्धक्षेत्र की जटिलताओं से निपटने में सक्षम तकनीक रूप से कुशल सैन्य कमांडरों का एक कैडर तैयार करना है।

Related Articles

Back to top button