ग्रामीणों का आरोप सरकारी दवा का पैसा ले रहे पशु डॉक्टर
सिधौली सीतापुर। पशु चिकित्सालयों में डॉक्टरों का सही समय पर न मिलना , पशुपालकों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। डॉक्टरों के न मिल पाने की वजह से पशुओं को सही समय पर इलाज नहीं मिल पता है। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर सिधौली ब्लॉक के अटरिया के नजदीक गांव के मोहम्मद असीफ (30 वर्ष) की पशु को 15 दिन पहले बीमार हुआ था। वह अपने पशु को पशु चिकित्सालय ले गए तो उन्हें वहां एक भी डॉक्टर नहीं मिला। मजबूरी में उनको मेडिकल स्टोर से दवा लेनी पड़ी।,सिधौली ब्लॉक के अटरिया के आसपास के गांव में रहने वाले एक 40 वर्षीय ग्रामीण के पास चार गाय और भैंसें हैं जिससे उनके घर की आमदनी चलती है। किसान बताते हैं, “अगर सरकारी डॉक्टर को घर बुलाओ तो वे आ तो जाते हैं पर उनको पेट्रोल का भी पैसा देना पड़ता है। इसके बाद दवा भी मंहगी लिखते है। अस्पताल में मिलते नहीं है इसलिए उनको फोन करके मजबूरी में डॉक्टर को घर बुलाना पड़ता है।”आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि अटरिया पशु अस्पताल में तैनात पशु चिकित्साधिकारी व अन्य सहायक मनमानी पर उतारू हैं।
लोगों के अनुसार डॉक्टर अस्पताल से अक्सर नदारद रहते हैं। कभी कभार आते भी हैं तो एक बजे के बाद, जबकि अस्पताल आने का समय सुबह आठ बजे है। साथ ही स्टोर में दवाइयां का रखरखाव भी अस्त-व्यस्त है। आरोप है कि चतुर्थश्रेणी कर्मचारी से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। चिकित्सक के अस्पताल से नदारद रहने के कारण पशुपालकों को जानवरों के इलाज के लिए भटकना पड़ता है। विवश होकर झोलाछाप डॉक्टरों से जानवरों का इलाज कराना पड़ता है। यह भी आरोप है कि इलाज के नाम पर पशुपालकों से पैसे की जमकर वसूली की जाती है। पशुपालक ने बताया कि बृहस्पतिवार को उसके गाय को बुखार था। इलाज के लिए पशु अस्पताल ले गया था। बताया कि अस्पताल की दवा और सूई का इस्तेमाल करने के बाद भी ज्यादा रुपये उससे वसूल लिए गए । विरोध करने पर डॉक्टर झगड़े पर अमादा थे। पशु चिकित्साधिकारी की मनमानी से आक्रोशित पशुपालाकों ने उच्चाधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है ।
क्या कहते हैं अधिकारी-
सरकारी डॉक्टरों द्वारा ज्यादा रुपए लिए जाने के संबंध में सम्बंधित अधिकारी बताते हैं की , “पशु के ज्यादा बीमार होने पर ही डॉक्टर अपनी ड्यूटी के बीच में पशुपालक के घर जाकर इलाज कर सकता है।