कानपुर। अधिक बारिश की वजह से अरहर की फसल की ग्रोथ रुक जाती है। ऐसी स्थिति में अरहर के पौधों में फास्फेट का छिड़काव करने से बेहतर उत्पादन पा सकते है और वर्षा के पानी से क्षति को काफी कम कर सकते है। यह जानकारी मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि अरहर की खेती को बेहतर लाभ वाली मानी जाती है। इसकी वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने से किसानों को कई गुना तक लाभ बढ़ सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के वरीय वैज्ञानिक के मुताबिक कोडरम में लगभग 90 प्रतिशत किसान अरहर की खेती करते हैं।
डॉ. पांडेय आगे जानकारी देते हुए बताया कि सामान्य तौर पर अरहर की खेती ऊंचाई वाले स्थान वाले जमीन पर की जाती है। जिस स्थान पर जल जमाव नहीं होता है। हालांकि इस बार मानसून के बाद भी अधिक बारिश होने से अरहर की फसल को थोड़ी क्षति हुई है। अधिक बारिश की वजह से अरहर के फसल की ग्रोथ रुक जाती है। ऐसे समय में किसान भाइयों को अरहर के पौधों में फास्फेट का छिड़काव करें और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर बारिश से हुई नुकसान को काफी कम कर सकते हैं।