कोलकाता। राजभवन ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने विधानसभा में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की कई रिपोर्ट पेश नहीं की। इस आरोप के साथ राजभवन ने संविधान की धारा 151 का हवाला देते हुए राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की।
राजभवन की ओर से शुक्रवार रात को जा रही है एक बयान में इस मुद्दे को उठाया गया है। इसमें कहा गया कि राज्य की वित्तीय स्थिति पर सीएजी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट राज्यपाल को देना अनिवार्य है, जिसके बाद उसे विधानसभा में पेश किया जाना चाहिए। राजभवन ने राज्य सरकार से तुरंत इस पर कदम उठाने और वित्तीय पारदर्शिता लाने की मांग की है।
इसके अलावा, राजभवन ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल वित्तीय रूप से केंद्र सरकार पर काफी हद तक निर्भर है। राजस्व का एक बड़ा हिस्सा केंद्र से मिलने वाले अनुदानों से आता है। राजभवन के दावे के अनुसार, 2021-22 से 2024-25 के वित्तीय वर्षों के बीच पश्चिम बंगाल ने राजस्व घाटे के कारण केंद्र से 40 हजार 115 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त किया है।
राजभवन ने यह भी दावा किया कि 2023-24 वित्तीय वर्ष में राज्य का कुल राजस्व 2.13 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें से 1.17 लाख करोड़ रुपये केंद्र से मिले अनुदान के रूप में थे। इस राजस्व घाटे की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, राजभवन ने राज्य सरकार को त्वरित कार्रवाई और वित्तीय पारदर्शिता लाने की सलाह दी है।