सूरतगंज बाराबंकी। इलाके के एक गांव में जमीन और घर के बटवारे के मामले को लेकर करीब एक वर्ष से विवाद चल रहा था जिससे आहत 65 वर्षीय व्यक्ति ने बुधवार की सुबह घर के कमरे में फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली। जिसके चलते पत्नी , बेटा , बहु सहित अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सूचना पर आनन फानन फतेहपुर तहसीलदार व कोतवाली प्रभारी, चौकी इंचार्ज दल बल के साथ मौके पहुंच शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
मिली जानकारी के अनुसार मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र अंतर्गत सिकोहना गांव निवासी राजेंद्र प्रसाद वर्मा का आपसी बटवारा का मामला पिछले एक वर्ष से चल रहा था। जिसको लेकर पीड़ित राजेंद्र प्रसाद वर्मा पुत्र हरचरन लाल निवासी सिकोहना ने मामले की शिकायत क्षेत्रीय अधिकारियों से लेकर उच्चाधिकारियो तक की थी। जो आए दिन मामले होते रहते थे लेकिन विपक्षी रेखा देवी पत्नी अरविन्द कुमार व अन्य कुछ लोगों की मदद से विवाद किया करते थे। ग्रामीणों की माने तो उक्त मामले में बीते दिनों तहसील दिवस में दोनों पक्षों में सुलह-समझौता भी हो गया था। लेकिन विपक्षीजन नही माने तो गुरुवार सुबह करीब 08 बजे पीड़ित राजेंद्र प्रसाद वर्मा ने उक्त विपक्षी जनों के खिलाफ सोसाइट नोट लिखकर घर की छत में कुंढे से रस्सी के सहारे फांसी के फंदे से झूल गया।
मृतक के बड़े बेटे प्रदीप कुमार ने बताया कि उनके पिता को आए दिन रेखा पत्नी अरविंद कुमार वर्मा, अरविंद कुमार वर्मा पुत्र हरिचरण निवासी ग्राम शिकोहाना थाना मोहम्मदपुर खाला,शिव बालक पुत्र राम प्रकाश,उग्रसेन पुत्र श्यामलाल निवासी ग्राम उजरवारा कोतवाली तहसील फतेहपुर बाराबंकी परेशान किया करते थे। जिससे आजीज होकर उनके पिता ने आत्महत्या की मृतक के पुत्र ने इन्ही चारों के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की है। मौके पर पहुंचे पुलिस बल ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। गुरुवार शाम शव विच्छेदन के बाद जब गांव पहुंचा तो परिजनों की चीख पुकार सुन ग्रामीणों के आंखों से आशुओं की धारा बह चली। फिलहाल खड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राजेंद्र का अंतिम संस्कार दिया गया। उन्हें मुखग्नि उनके बड़े बेटे ने दी। इस संबंध में कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मोहम्मदपुर खाला अनिल सिंह ने बताया कि मिले प्रार्थना पत्र के आधार पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है।
मकान का विवाद बना राजेंद्र की मौत का कारण
मृतक के बेटे प्रदीप और ग्रामीण से मिली जानकारी के अनुसार राजेंद्र की चाची ने उन्हें उनके घर के पास स्थित एक जमीन करीब बीस वर्ष पूर्व वसीयत की थी जिस जमीन पर राजेंद्र भवन का निर्माण करवा रहा था जिसका एक मंजिल निर्माण पूर्ण हो चुका था। दूसरी मंजिल के निर्माण में रेखा पत्नी अरविंद व अन्य कुछ लोग बाधक बन रहे थे और आए दिन विवाद कर रहे थे। जिससे पीड़ित लगातार शासन प्रशासन से मदद मांग रहा था। जानकारी के अनुसार महज चंद दिनों पूर्व तहसील दिवस में दोनों पक्षों सुलह समझौता भी हो गया था। बावजूद इसके विपक्षियों ने समझौते को नहीं माना जिसके परिणाम स्वरूप राजेंद्र आज इस दुनिया में नहीं है।
100 फीसद विकलांग है मृतक की पत्नी
मृतक राजेंद्र के दो बेटे बहू और पूर्ण रूप से विकलांग पत्नी एक जर्जर पुराने मकान में रहते थे मकान की स्थिति इतनी बढ़कर है कि बरसात का पूरा पानी घर में ही जमा होता है ऐसे में सवाल यह था कि राजेंद्र करता तो क्या करता हालांकि राजेंद्र की मौत के बाद पूर्ण रूप से विकलांग पत्नी का जीवन पूर्ण रूप से संकट में आ गया है पीड़ित परिवार को कहां तक न्याय मिलता है यह भविष्य के गर्भ में छुपा है।