हैदराबाद। भाग्यनगर गणेश उत्सव समिति के 45वें श्री गणेशोत्सव के तहत मंगलवार काे श्रीगणेश प्रतिमाओं की सामूहिक विसर्जन शोभायात्रा पूरे भक्तिभाव के साथ निकाली गई। इसी के साथ नगर में गणेश विसर्जन काी सिलसिला शुरू हाे गया।मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी ने हुसैनसागर पहुंचकर विसर्जन के लिए सभी व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।
भारतीय संस्कृति परंपरा, देशभक्ति और समस्त सनातन की संगठन शक्ति का प्रदर्शन स्वरूप गणेशोत्सव संपन्न हो गया। भाग्यनगर गणेश उत्सव समिति के 45वें श्री गणेशोत्सव की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शाेभायात्रा में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश, उज्जैन के दीपांकर महाराज तथा भुवनेश्वरी पीठ के स्वामी कमलानंद भारती को आमंत्रित किया गया। गत 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर भक्तिभाव से स्थापित की गईं गणेश प्रतिमाओं का 11 दिन तक पूजन करने के बाद अब विसर्जन की शोभायात्रा निकाली गई। इसी के साथ विनायक सागर (टैंकबंड) में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन सिलसिला शुरू हो गया।
सुबह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ महागणपति शोभायात्रा सुबह शुरू हुई और दोपहर तक हुसैनसागर पहुंची। दोपहर बाद 70 फुट ऊंची प्रख्यात खैरताबाद महागणपति का विसर्जन श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच एनटीआर मार्ग स्थित क्रेन नंबर चार पर किया गया। इससे पहले महोत्सव समिति के आयोजकों ने विशेष पूजा-अर्चना की।
राज्य के मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी भी मंगलवार को हुसैनसागर पहुंचे और विसर्जन के लिए की गईं व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। इस मौके पर नगर पुलिस आयुक्त सीवी आनंद और हैदराबाद शहर के मेयर विजयलक्ष्मी ने मुख्यमंत्री को विसर्जन के प्रबंधों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री और हैदराबाद के महापौर ने गणेश विसर्जन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि शांतिपूर्ण माहौल में श्रद्धापूर्वक उत्सव मनाएं। उन्होंने कहा कि विसर्जन के लिए 140 स्थिर और 300 मोबाइल क्रेनें स्थापित की गई है।
हैदराबाद के पुलिस आयुक्त सीवी आनंद ने बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों और यातायात चौराहों पर पुलिस बल तैनात किया गया। पूरे यात्रा मार्ग पर 25 हजार पुलिस बल और 733 सीसीटीवी कैमरे विसर्जन प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। गणेश विसर्जन के दौरान जीएचएमसी, परिवहन, जल बोर्ड, पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारी लगे हुए हैं। नगर पुलिस आयुक्त ने बताया कि विसर्जन का कार्यक्रम बुधवार सुबह 8:00 बजे तक जारी रहेगा और चालीस हजार से अधिक छोटे या बड़े प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।