शिक्षा किसी भी उम्र में और किसी भी जगह पर हासिल की जा सकती है, इसके लिए कहीं कोई बाध्यता नहीं है कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के जिला जेल में, जहां पर हरदिन करीब ढाई सौ के आसपास बंदी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं इतना ही नहीं कैदियों को शिक्षा देने में जहां जेल प्रशासन से दो शिक्षक नियुक्त किए गए हैं तो वहीं कई बंदी भी अपने साथियों को शिक्षा देने के लिए अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं इसके चलते गाजीपुर के जिला जेल में इन दिनों तीन शिफ्टों में ईल्म की पाठशाला का संचालन किया जा रहा है
गाजीपुर के जिला जेल में हत्या समेत अन्य मामलों में बंद करीब आठ बंदी इन दिनों अपनी शिक्षा से अपने साथियों के भविष्य को संवारने का काम कर रहे हैं यह लोग अपने साथियों को हिंदी ,अंग्रेजी के साथ ही बाकी विषय भी पढ़ा रहे हैं ताकि इन बंदियों की मदद की जा सके
जेल में मौजूदा वक्त में कुल 702 कैदी
गाजीपुर के इस जेल में मौजूदा वक्त में कुल 702 कैदी हैं जिसमें कई खतरनाक आपराधिक मामलों में भी बंद हैं ऐसे ही बंदियों के हृदय परिवर्तन के लिए जेल प्रशासन और शिक्षकों की तरफ से इनको शिक्षा से जोड़ने का काम किया जा रहा है क्योंकि जब यह कैदी जेल में आए तो उसमें बहुत सारे पढ़े-लिखे भी थे और बहुत सारे अनपढ़ भी हैं जो अब इस पाठशाला से शिक्षा लेकर समाज में एक बार फिर जाएंगे तो इन्हें उपेक्षा का दंश नहीं झेलना पड़ेगा, बल्कि यह लोग अपनी शिक्षा की बदौलत समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे
बंदियों की हर महीने होती है काउंसलिंग
जेल में इन बंदियों को शिक्षा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत धर्मेंद्र श्रीवास्तव को बतौर शिक्षक नियुक्ति की गई थी उन्होंने बताया कि जेल में पिछले कई सालों से इल्म की पाठशाला का संचालन चल रहा है जिसमें हर महीने बंदियों की काउंसलिंग की जाती है और यह जानने का प्रयास किया जाता है कि वह पढ़े लिखे हैं या फिर अनपढ़ ऐसे में कैटेगरी बनाई जाती है जिसमें पढ़े लिखों की एक अलग कैटेगरी बनती है और अनपढ़ों की एक अलग कैटेगरी बनाई जाती है इसके बाद वह खुद और उनके साथी अभय कुमार इन कैदियों को पढ़ाते हैं, साथ ही इनके बाकी पढ़े लिखे कैदी भी अपने साथियों को पढ़ाते हैं
10 से 15 कैदियों के बीच एक साक्षर बंदी
उन्होंने बताया कि इन बंदियों को जेल के शिक्षकों के द्वारा शिक्षा देने के साथ ही करीब आठ बंदी अपने साथियों को शिक्षित कर रहे हैं जिसमें अगस्त महीने में करीब 250 बंदी उनकी पाठशाला में पढ़ाई कर रहे थे जिन्हें पढ़ने के लिए कुल तीन शिफ्टों में पाठशाला का संचालन किया जाता है हर एक शिफ्ट में करीब 80 से 90 बंदी होते हैं और इन बंदियों में जो साक्षर बंदी होते हैं उसमें 10 से 15 बंदियों पर एक साक्षर बंदी को भी लगाया जाता है ताकि उनकी पढ़ाई पर वह विशेष ध्यान रख पाएं जेल अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह ने बताया कि शिक्षा ग्रहण करने वाले इन्हीं बंदियों के बीच हर महीने कई तरह की प्रतियोगिता भी कराई जाती हैं जिसमें चित्रकला प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के साथ ही इंडोर गेम-आउटडोर गेम के साथ ही क्रिकेट मैच का भी आयोजन किया जाता है जिसमें बंदी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और प्रतियोगिता में पहले, दुसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले कैदियों को प्रशस्ति पत्र देकर जेल प्रशासन की तरफ से सम्मानित भी किया जाता है