एक ही दिन विश्वकर्मा पूजा व अनंत चतुर्दशी, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त!

17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इसे अनंनत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र बांधने की भी परंपरा है। मान्यता है कि अनंत सूत्र में भगवान विष्णु का वास होता है। अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र को भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद बांह में बांधा जाता है। पुरुष अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में उस चौदह गांठों वाले धागे को बांधें। अनंत सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिए, इन 14 गांठों को 14 लोकों से जोड़कर देखा जाता है। अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त पूरे उपवास भी रखते हैं।

अनंत चतुर्दशी 2024 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 पर होगा। चतुर्दशी तिथि का समापन 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। अनंत चतुर्दशी की पूजा 17 सितंबर को सुबह 6 बजकर 7 मिनट से सुबह 11 बजकर 44 मिनट के बीच किया जाएगा।

अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने और उपवास रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना भी फलदायी माना जाता है।

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