हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोप तय करने पर 23 सितंबर तक रोक लगाई

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के मामले की सुनवाई कर रहे ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो आरोप तय करने के मामले में 23 सितंबर तक अंतिम आदेश पारित नहीं करें।

दरअसल, इस मामले की एक आरोपित पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगन कलीता ने जाफराबाद में फरवरी, 2020 को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के वीडियो फुटेज की कॉपी मांगने वाली याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनके पास केस की फाइल नहीं है। उन्होंने सुनवाई टालने की मांग की। इसका देवांगन कलीता की ओर से पेश वकील ने विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर दलीलें रखी जा रही हैं। उसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर 23 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने का आदेश देते हुए ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि वो 23 सितंबर तक आरोप तय करने पर कोई भी अंतिम आदेश जारी नहीं करें। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट आरोप तय करने पर दलीलें सुन सकता है लेकिन वो अंतिम आदेश जारी नहीं करे।

याचिका में देवांगन कलीता ने 23 फरवरी 2020 को जाफराबाद में हुए प्रदर्शन की फुटेज की कॉपी देने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है, उसके बावजूद उसे इलेक्ट्रॉनिक तथ्य उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। कलीता पर आरोप है कि उसने 22 फरवरी, 2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था। कलीता को यूएपीए के मामले में जमानत मिल चुकी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे।

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