लीवर का होना था ट्रान्सप्लाण्ट नही मिला विभागीय 14 लाख तो घर वाले हुए लाचार
सीतापुर। सचिव विवेक कुमार की मौत के बाद उसके रोते बिलखते परिवार पर जो मुसीबतों का पहाड़ टूटा है इसका कही न कहीं से जिम्मेदार उसका विभाग है। अगर विवेक की समस्याओं पर गौर करते हुए विभागीय अधिकारी सचिव विवेक का साथ दे देते तो उम्मीद जताई जा रही है कि वह बच जाता। क्योकि विवेक कुमार का लीवर ट्रान्सप्लाण्ट होना था इसके लिये काफी ज्यादा पैसा खर्च होता है विवेक के पास पैसा था लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही रही कि विवेक का पैसा विभाग ने उसको समय से नही दिया ।जिसमें चलते विवेक का कायदे से उपचार नही हो सका और विगत दिवस उनका दर्दनाक तरीके से देहान्त हो गया। विवेक की मौत का समाचार जिस व्यक्ति ने सुना और आपबीती जानी तो उसकी आंखों से पानी छलक आया और सभी विभागीय अधिकारियों को कोस रहे है और कह रहे कि विवेक जिस विभागाध्यक्ष के पास था और विवेक को इतनी बड़ी बीमारी थी और सरकारी बकाया पैसा ही उसकी जिन्दगी था तो अधिकारियों को हर कार्य रोकर विवेक का बकाया भुगतान देकर उसकी जान बचानी थी। ऐसा कुछ भी नही हुआ बल्कि विवेक की मौत और बकाया धन के बारे में जिला पंचायत राज अधिकारी निरीश चन्द्र शहू से बात की तो उन्होने एक ही शब्द में पूरी बात समाप्त कर दी। उन्होने कहा दिया मै नया आया हूं और सचिव विवेक के बारे में ज्यादा कुछ नही जानता था। यह कैसी बात रही आप विभागाध्यक्ष है आपको तो हर स्टाफ का ध्यान रखना चाहिए। पुराने लोगों की माने तो उनका आज भी कहना है कि स्टाफ और परिवार में ज्यादा अन्तर नही होता है। शायद विवेक की गरीबी ही उसकी मौत बन गई। विवेक पास सारा समन्दर था उसके पास पैसा था लेकिन विभाग दे नही रहा था, बस पैसा विवेक के हाथों में नही मिला और गरीबी ही विवेक की सांसों पर रोक दिया।
सचिव विवेक की परिवारिक पृष्टिभूमि देखी जाये तो विवेक कुमार लखनऊ के इन्द्रानगर के निवासी थे और मां पिता के एकलौते पुत्र थे और उनके एक बहन थी जिसकी शादी हो चुकी थी। पिछले सप्ताह विवेेेक के बहनोई की मौत हो गई थी। जिससे वह काफी दुखी थे। विवेक कुमार वर्ष 2017 बैच के ग्रामपंचायत अधिकारी के पद पर चयन हुआ जिससे परिवार में हर्षोल्लास की स्थित थी। विवेक कुमार की पहली पोस्टिंग ब्लाक ऐलिया में हुई किन्ही कारणों से उन्हे निलम्बित किया गया था। उसके बाद उनको विकास खण्ड रामपुर मथुरा में सचिव के पद पद बहाल किया गया और उसके बाद जिला मुख्यालय पर अटैच किया गया था। ब्लाक ऐलिया व रामपुर की तैनाती के बीच विवेक कुमार की निलम्बित समय का बकाया वेतन जो उनके करीबियों के अनुसार करीब 14 लाख रूपये विभाग पर बकाया था जिसके भुगतान के लगातार प्रयास कर रहे थे। इसी बीच विवेक को लीवर की समस्या हुई जिसमें परिवार वालों के पास जो पैसा था उपचार में खर्च कर दिया। परिवार की आर्थिक स्थित लगातार बिगड़ती चली गई और वर्तमान समय में विवेक के पास इतना पैसा नही था कि वह अपना उपचार करवा पाता वह केवल बकाये धन पर भरोसा कर सोच रहा था कि जब पैसा मिलेगा तो अपना उपचार बड़े अस्पताल में करवा लेगे लेकिन न तो पैसा मिला और न ही विवेक को उपचार मिला।
बाक्स- बोले डीपीआरओ मुझे विवेक की मौत की जानकारी नही
विवेक कुमार के विभागीय बकाया धन के सम्बन्ध में जब डीआरओ सीताापुर से बात की गई कि तो बताया कि विवेक कुमार की मौत की जानकारी मुझे नही मिली है। बीमार तो वह रहता था रामपुर मथुरा मे तैनात थे मै अभी नया नया हूं मुझे ज्यादा जानकारी नही है मै अभी प्रमुख सचिव की बीसी में व्यस्त हूं।
ब्लाक के बीडीओ और ए डी ओ का नही उठा फोन
विवेक के बारे में जब खण्ड विकास अधिकारी रामपुर मथुरा और ए डी ओ पंचायत से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो फोन की घण्टी बजती रही लेकिन दोनो अधिकारियों ने फोन नही उठाया इस कारण उनका पक्ष नही जाना जा सका।
विवेक की मौत से विभाग में छाया मातम
सचिव विवेक की मौत से जिले के सभी ब्लाकों में सन्नाटा छाया हुआ है। अगर कोई सन्नाटे को चीरता हुआ दिखाई दे रहा है तो वह विवेक की चर्चाएं। हर जगह बस एक ही चर्चा है कि अगर विवेक को समय से पैसा मिल जाता तो आज वह जिन्दा होता उसका उपचार हो गया होता।