शब्बेदारी में 72 ताबूत की ज़ियारत में उमड़ा जन सैलाब
बाराबंकी। अन्जुमन ग़ुन्चए अब्बासिया व मोमनीन तरफ से शब्बेदारी अपने कदीम रवायती अंदाज में चली जिसमे 72 ताबूत की ज़ियारत करने के लिए लोगो ने बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। और 72 ताबूत को कधाँ दे कर खूब गिरया किया। शब्बेदारी का आगाज़ तिलावते कलाम पाक लखनऊ से आए कारी मोहम्मद हुसैन ने किया। छोटे बच्चों ने भी अपने कलाम पेंश किये जिसके फौरन बाद शब्बेदारी की मजलिस को मौलाना मेराज हैदर आज़मी ने ख़िताब किया। उन्होंने कहा कि करबला के शहीदों की कुरबानी ने पुरी इंसानियत को जिंदगी दे दी ये ऐसे बावफा असहाब थे जिन पर फख्र करते हुए इमाम हुसैन ने फरमाया जैसे वफ़ा दार असहाब मुझे मिले वैसे किसी को नहीं मिले। आखिर में उन्होंने करबला के दर्द नाक मसाएब पेंश किये जिससे सुनकर अजादारों ने खूब गिरिया किया।
मजलिस के बाद 72 ताबूत की जियारत कराई गई जिसकी ऩकाबत मौलाना शारिब अब्बास साहब अकबरपुरी ने की उन्होंने ने 72 शहीदों की शहादत का दर्द नाक मंजर पेश किया जिस को सुनकर कसीर तादाद में आए अजादरो की आंखे नम हो गई, शब्बेदारी की निजामत कशिश संदेलवी ने किया, जिसमें मकामी व बैरूमी हज़रात ने शिरकत किया, जिसके बाद मुल्क की मशहूर बैरूनी अंजुमन जीन्तुल इमान केसरवा सादत और अन्जुमन पैगामे हुसैनी जैदपुर व मेज़बान अन्जुमन गुंचए अब्बासिया ने मिसरए तरहा पर अपना अपना कलाम पेश किया। अन्जुमन की जानिब से शब्बेदारी में आए हुए तमाम मोमिनीन और मोमिनात के लिए खाने पानी का इंतेजाम किया गया था। आखिर में अन्जुमन ग़ुन्चए अब्बासिया के तमाम मेंम्बरान और कमेटी व कन्वीनर ने शब्बेदारी व 72 ताबूत में शिरकत करने वाले तमाम हजरात वा नगर पालिका और ज़िला प्रशासन के सहयोग का शुक्रिया अदा किया।