ग्राम प्रधानों ने कहा मेरा काम शौचालय देखना नहीं
शौचालय संचालन के लिए आता है हर महीने लाखों रुपए
बलिया। जिले में स्वच्छ भारत अभियान अब दम तोड़ने लगा है। अधिकांश इलाकों में बने सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ बदहाल हो चुके हैं। आलम यह है कि सोहांव ब्लॉक के कई गांवों में कहीं यह खंडहर हो गए हैं तो कहीं कबाड़। विकास खंड सोहांव के गांवों में बदहाल शौचालयों के बारे में खण्ड विकास अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया।
आपको बता दे कि सोहांव ब्लाक में लाखों की लागत से दर्जनों शौचालय का निर्माण कराया गया है। इसके संचालन पर हर महीने लाखों की धनराशि खर्च की जाती है, लेकिन शौचालयों की हालत बद से बदतर है। ग्राम पंचायत ईटही के सामुदायिक शौचालय को कम्पोजिट विद्यालय के परिसर में बनाया गया है। जिसका अभी तक कोई उपयोग नहीं किया गया है। शौचालय के अंदर और बाहर जंगल है। शौचालय तक पहुंचने के लिए रास्ते भी नहीं हैं। गांव के मुनीन्द्र नाथ तिवारी ने बताया कि इस शौचालय का कभी भी उपयोग नहीं किया गया। गांव में बड़े पैमाने पर अनियमितता की गई है। जिसकी शिकायत भी की गई है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दिनेश बिंद ने बताया कि ग्राम प्रधान मेरी पत्नी है। लेकिन सारे कार्य मैं ही देखता हूं। मेरे द्वारा 40 शौचालय बनवाया गया है। 60 फीसदी लोग बाहर में खुले में ही शौच करते हैं। सोवंन्था ग्राम सभा में बनाया गया शौचालय के गेट पर ही किसी ने लिखा है कि पानी नहीं है।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुरेश यादव ने बताया कि मेरा काम शौचालय देखना नहीं है। लोग जानबूझकर गंदा कर रहे हैं। करंजा बाबातर ग्राम सभा में सामुदायिक शौचालय का दरवाजा टूटा हुआ है और लाइट भी नहीं हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि जयप्रकाश यादव ने बताया कि बच्चे दरवाजा तोड़ दिए हैं तथा शौचालय के बल्ब को भी गायब कर दिया जा रहा है। सामुदायिक शौचालय की दुर्दशा की जानकारी के लिए खंड विकास अधिकारी आफताब आलम से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि सामुदायिक शौचालय के बारे में मैं कुछ भी नहीं बता सकता। कुल मिलाकर सामुदायिक शौचालय भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है।