जौनपुर। बक्शा के फतेहगंज स्थित गोदाम में बीस वर्ष पूर्व घुसकर राज्य कर्मचारी सयुंक्त परिषद के महामंत्री शाहिद हमीद की गोली मारकर हत्या के मामले में जिला जज वाणी रंजन अग्रवाल ने बुधवार को दिए फैसले में आशुतोष सिंह जमैथा समेत तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। चश्मदीद साक्षियों द्वारा आरोपितों की कोर्ट में पहचान न करना, मुख्य नामजद आरोपी का नाम विवेचना में निकलना, असलहा कोर्ट में पेश न करना व अन्य आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है।
ताहिर हमीद ने बक्शा थाने में घटना की एफआईआर दर्ज कराई थी कि उसके बड़े भाई शाहिद हमीद राज्य कर्मचारी संघ परिषद के महामंत्री थे। घटना के समय फतेहगंज स्थित खाद्य एवं रसद विभाग के गोदाम में इंचार्ज मार्केटिंग के रूप में कार्य कर रहे थे। काफी दिनों से गोदाम में मार्केटिंग इंस्पेक्टर की पोस्टिंग नहीं हुई थी। घटना के कुछ समय पूर्व अजय प्रताप सिंह इस पद पर नियुक्त हुआ। चुनाव में आचार सहिंता लागू हो गयी। इसलिए विभाग द्वारा उसके भाई काे कार्य मुक्त नहीं किया गया। इससे अजय प्रताप नाराज थे और जान से मारने की धमकी दे रहे थे। 12 मई 2004 को वादी तथा उसका भतीजा दानिश, भाई शाहीद के साथ गए थे। दिन में लगभग 3 बजे अजय प्रताप अपने दो साथियों के साथ गोदाम के अंदर पहुंचे और उसके भाई को गाली देते हुए असलहा से फायर करने लगे, जिससे शाहिद जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। आरोपी फायर करते हुए मोटर साइकिल से भाग गए। भाई को जिला अस्पताल ले जाया गया। जहाँ डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने विवेचना में अजय प्रताप का नाम निकाल दिया तथा विकास चन्द्र जायसवाल सुजानगंज, आशुतोष सिंह जमैथा तथा राजेन्द्र मौर्या जमैथा, जफराबाद के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल किया। प्रत्यक्षदर्शि साक्षयियो ने आरोपियों को कोर्ट में नहीं पहचाना। एक गवाह पक्षद्रोही हो गया। जिस मोटर साइकिल से आरोपी भागे थे। उसे पुलिस ने बरामद नहीं किया। बरामद असलहा न्यायायल में प्रस्तुत कर साबित नहीं कराया गया। आरोपियों की मृतक से कोई रंजिश भी नहीं थी। मुख्य आरोपी अजय प्रताप सिंह का नाम विवेचना में निकाल दिया गया। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में तीनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।