बाराबंकी। जिले में झोलाछाप चिकित्सकों का कहर बदस्तूर जारी है। हालांकि बीते शनिवार को जिलाधिकारी डॉ सतेन्द्र कुमार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाओं के सम्बंध में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक आहूत की थी। जिसमें उन्होंने सख्त निर्देश दिए जारी किए थे कि जिले में झोलाछाप डॉक्टरों को चिन्हित करके उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। इसके अलावा शून्य से 5 वर्ष के बच्चों की डेथ सम्बंधी जानकारी क्षेत्र की आशा और एएनएम के माध्यम से प्राप्त करके उनके कारणों का पता लगाने के भी निर्देश दिए थे। जबकि उक्त आदेश का सख्ती से पालन होना चाहिए था लेकिन अधीनस्थ कर्मचारी अपनी कार्यवाही कागजी खानापूर्ति कर इतिश्री कर लेते है। ताजा मामला देवा सीएचसी से मात्र 200 मीटर की दूरी पर संचालित प्रखर हॉस्पिटल एवं सर्जिकल सेंटर का है। सूत्र बताते है कि एक प्रसूता को पीएचसी देवा से ले जाकर इस अस्पताल में एडमिट कराया गया जिसमें प्रसव के दौरान प्रसूता ने मृत बच्चे को जन्म दिया। उसके कुछ ही देर बाद प्रसूता की तबियत बिगड़ने लगे तो हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने उसको अन्य जगह के लिए रेफर कर दिया और अपने हाथ खड़े कर लिया।
तब प्रसूता के परिजन उसको लेकर लखनऊ के सेंट मेरी हॉस्पिटल लेकर गए जहाँ पर चिकित्सकों ने देखकर बताया कि इसकी मौत हो गई है। तो परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सूत्र बताते है कि इस मामले को अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मैनेज किया गया, जिसके बाद परिजनों द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही न करके अंत्येष्टि कर दी गयी। इस मामले में पीड़ित परिजनों का एक लेटर भी वायरल हो रहा है जिसमें परिजन किसी प्रकार की कार्यवाही न करने की बात लिखे, हालांकि इस वायरल लेटर की पुष्टि यहाँ नहीं की जा रही है। सवाल यह है कि यदि जिले के कलेक्टर का फरमान स्वास्थ्य विभाग अमल में लाता और त्वरित रूप से ऐसे लोगों पर कार्यवाही कर दी गयी होती तो शायद आज जच्चा और बच्चा की जान बच गयी होती। यह तो एक उदाहरण मात्रा है जबकि पूरे जनपद में इस तरह के अनेकों हॉस्पिटल संचालित हो रहे है जहां पर बाहर बोर्ड तो अत्याधुनिक सुविधाओं का अंकित होता है, लेकिन जब मरीज जालसाजों के चक्कर में पड़ जाता है और अप्रिय घटना घटित हो जाती है, तो सिर्फ अफसोस के सिवाय कुछ नहीं मिलता है। इस घटना के बारे में सीएचसी अधीक्षक देवा, राधेश्याम गौड़ का कहना है कि जानकारी मिली है, घटना दुःखद है, मामले की जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
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बाराबंकी। पूरे जिले में मानकों को दरकिनार कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पतालों एवं डायग्नोस्टिक सेंटरों का लाइसेंस किस नियमावली के तहत धडल्ले से जारी कर दिया जाता है यह जांच का विषय बन चुका है। क्योंकि जब आवेदन होता तो सारे मानक पूर्ण दिखाये जाते है लेकिन यदि लाइसेंस प्राप्त होने के बाद भी अस्पतालों व डायग्नोस्टिक सेंटरों की समय समय पर निष्पक्ष जांच हो तो हकीकत उजगार हो सके।