कानपुर। बरसात के मौसम में मधुमक्खियों के शत्रु सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में मधुमक्खी पालन से जुड़े कारोबारी यदि उनकी सुरक्षा का प्रबंध करने से अधिक लाभ होगा। यह जानकारी मंगलवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के थरियांव स्थिति कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ जगदीश किशोर ने दी।
उन्होंने बताया कि बारिश में मधुमक्खियों के दुश्मन सक्रिय हो जाते हैं, जिससे उनके मरने की अधिक संभावना हो जाती है। इसके लिए इस कारोबार से जुड़े लोगों को यह जानना आवश्यक हो जाता है कि उनके शत्रु कौन कौन हैं। मधुमक्खियों के प्रमुख शत्रु ततैया, चीटियां, छिपकली, मेंढक, गिरगिट एवं चीटियां इत्यादि हैं।
शत्रुओं से सुरक्षा के लिए करें धूमन
डॉक्टर जगदीश ने बताया कि वर्षा ऋतु में पतंगा कीड़ा मधुमक्खियों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इन के प्रकोप से ग्रसित मौन वंश कमजोर पड़ जाते हैं। छत्तों में जाले लग जाने से रानी मक्खी अंडे देना बंद कर देती है। इसके नियंत्रण के लिए सल्फर या एथिलीन डाई ब्रोमाइड से धूमन कर दें। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में चींटियों की रोकथाम के लिए मौन ग्रह के पायों को पानी भरी प्यालियों में रखें तथा बक्सों के आसपास जगह को साफ सुथरा रखें यदि चीटियों ने कॉलोनी बना ली हो तो उसे नष्ट करने दें।
डॉक्टर जगदीश ने बताया कि मधुमक्खियों को बरसात के समय हरी चिड़िया भी नुकसान पहुंचाती है। बक्से जहां रखे हो वहां पर पेड़ पर चिड़ियों को न बैठने दें। बरसात में बर्र मौन ग्रहों से बाहर आ जाती मधुमक्खियों को अपना शिकार बनाती हैं, इसके लिए बर्र के छत्ते का पता कर नष्ट कर देना चाहिए। बरसात में इन बातों का ध्यान रखने पर मौन पालक अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।