नई दिल्ली/बेंगलुरु। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को यहां कहा कि आरबीआई लगातार ऐसी नीतियां, प्रणालियां और मंच तैयार करने पर काम कर रहा है, जो वित्तीय क्षेत्र को मजबूत, जुझारू और ग्राहक केंद्रित बनाएंगे।
आरबीआई@90 पहल के तहत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना तथा उभरती प्रौद्योगिकियों पर वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए शक्तिकांत दास ने यह बात कही। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) और उभरती प्रौद्योगिकियां दुनिया में लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं की भविष्य की यात्रा को आकार देंगी। आरबीआई गवर्नर ने इस बात पर भी जोर दिया कि वित्तीय संस्थाओं को कृत्रिम मेधा (एआई) से जुड़े जोखिमों के प्रति पूरी तरह सचेत रहना चाहिए।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि डीपीआई व्यापक रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में निर्मित बुनियादी प्रौद्योगिकी प्रणालियों को संदर्भित करता है, जो उपयोगकर्ताओं तथा अन्य डेवलपर के लिए खुले तौर पर उपलब्ध हैं। शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछले दशक में पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली में अभूतपूर्व प्रौद्योगिक बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि इन सभी संकेतों से पता चलता है कि आने वाले वर्षों में यह प्रक्रिया और भी तेज हो सकती है।
उन्होंने कहा कि यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) मंच विभिन्न डेटा सेवा प्रदाताओं से ऋणदाताओं तक विभिन्न राज्यों के भूमि रिकॉर्ड सहित डिजिटल जानकारी के निर्बाध प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है। दास ने कहा कि शुरुआती चरण से प्राप्त अनुभव के आधार पर यूएलआई को राष्ट्रव्यापी स्तर पर जल्द ही पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यूपीआई प्रणाली में सीमा पार धन प्रेषण के उपलब्ध माध्यमों के लिए एक सस्ता और त्वरित विकल्प बनने की क्षमता है।