प्रांत संगठन मंत्री विश्व हिंदू परिषद अवध प्रांत
विश्व हिंदू परिषद के स्थापना के 60 वर्ष पूर्ण हो रहे है स्थापना दिवस को षष्टी पूर्ति के रूप में संपूर्ण भारत में मनाया जा रहा है अवध प्रात की संघटनात्मक संरचना में कुल आठ विभाग 25 जिले 244 प्रखंड जिसमें शहरी 45 ग्रामीण 199 है। अवध प्रांत के सभी प्रखंडों में वृहद स्तर पर स्थापना दिवस के कार्यक्रम मनाया जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद के ध्येय के 60 साल पूरे हो रहे हैं वाराणसी में आने वाले श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को विश्व हिंदू परिषद के ध्येय के साथ चिन्मयानंद के आश्श्रम पवई सागर में स्थापित विश्व हिंदू परिषद द्वारा विश्व भर में संपूर्ण हिंदू समाज को निवास कर रहे हैं जाति, मत, पंथ, आषा क्षेत्र से ऊपर की ओर ज्वालामुखी, सघठित, सशक्त मठ अपने पूर्वज परंपरा, मान्यता, मानबिन्दु गौरव पर निवास करने वाले तथा पुनर्प्रतिष्ठा करने के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का संकल्प लेने वाले हिंदू को खड़ा करने का संकल्प लेकर महान संगठन के रूप में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना हुई।1966 तीर्थराज उथल-पुथल में महाकुंभ में परिषद द्वारा आयोजित प्रथम विश्व हिंदू सम्मेलन महामहिम महाराज हर्ष के बाद हिंदुओं के जीवनमूल्यों की रक्षा के सकल्प से महाकुंभ में सबसे विराट एकजुटता थी।
देश विदेश से हिंदुओं को हिंदू के रिश्ते खड़े करना, ऐसा दृढसंकल्प ले रिशती हिंदू जन शक्ति, मंच का नयनाभिराम दृश्य, हिंदू समाज ने वर्षों बाद देखा।1969 उडुपी कनोटक, हिंदू सम्मेलन, मंच पर प्रमुख पूज्य संतगण एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दवितीय सरसंघ चालक पूज्य श्री गुरुजी की गरिमामयी उपस्थिति। पूज्य संतों द्वारा हिंदू समाज में पराधीनता के अतिम कालखंड के दशपरिणाम से व्याप्त अस्पृश्यता के विरोध में स्वीकृत हिंदू समाज के लिए ऐतिहासिक आश्रम, पूज्य संतों की घोषणा सनातन शास्त्रसम्मत नहीं, जन्म के आधार पर कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं, कोई पवित्र नहीं कोई अपवित्र नहीं, हम सब ऋषिपुत्र हैं, भारतमाता की संतान है सहोदर भाई है, पूज्य संतों ने घोषणा की.
हिंदवः सोदराः सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत।
मम दीक्षा हिंदू रक्षा, मम मंत्र लाभ ।।
1983 भाषा और संप्रदाय के नाम पर संघर्ष खड़ा करने का प्रयास पूरे देश में चल रहा था, आर्य और द्रविड़, हिंदी भाषी और गैर हिंदी भाषी जैसे विषय विद्वान हिंदू समाज की एकता को तार-तार करने का दुष्प्रयत्न चल रहा था इतना कठिन और चुनौतीपूर्ण काल में काउंसिL ने एकात्मता यात्रा के नाम से एक अभिनव कार्यक्रम शुरू किया। उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम समय देश की श्रद्धाकेन्द्र भारतमाता के विग्रह तथा विशाल कुंभों में अवस्थित पवित्र गंगामाता रथारुड निकल पद, अपने सुप्त, विभूति में शक्ति तथा आत्मगौरव को विस्मृत कर अपने कोटि कोटि पुर्वी को जागृत कर, एकात्मता के सूत्र में अपवित्र करना के लिए. 7 अक्टूबर 1984 रामजी की नगरी श्रीअयोध्या जी में सरयू मैया का पवित्र तट शामिल हुआ, रामभक्तों का जनज्वार, पूज्य संतों के साथ उपस्थित रामभक्तों ने संकल्प लिया रामजी की नगरी में सरयू के पवित्र तट पर रामलला के जन्मस्थान में रामलला के भव्य मंदिर की कामना की गई। निर्मित भवन में बंद रामलला को मुक्त करा भव्य मंदिर के निर्माण का, विश्व हिंदू परिषद ने पूज्य संतो के आदेश से, विश्व का सबसे बड़ा अहिंसा जनआंदोलन “श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की शुरुआत की।
अंतत हिंदू शक्ति के सामुहिक जागरण का सुपरिनाम हम सार्वभौम उत्सव में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ राष्ट्रीय स्वाभिमान के पुनर्प्रतिष्ठा का एक चरण पूर्ण हुआ। मठ मंदिर आचेक पुरोहित, तीथे और संस्कृत की पुनर्प्रतिष्ठा का कार्य भी परिषद् में सफलता के साथ प्राप्त हो रहा है।
गिरिवासी बनवासी आंचल में अपने बंधुओं के बीच सेवा प्रकल्पों के माध्यम से परिषद समाज व देवत्व की साधना में अध्यात्म के साथ लगा हुआ है। संगठन ने कार्य बढ़ाया लेकिन 60 साल में युवा समाज और देश की एकजुटलाएं भी बनीं। इन उद्द्घाटन का सामना करने के लिए हमारा संकल्प है, हमें अथक श्रम कर गिरिवासीतनवासी, नगरवासी, ग्रामवासी हिंदू में से रक्षाधिक कार्यकली खड़े कर गांव तक संगठन के तंत्र का विस्तार और विपक्ष पर विजय प्राप्त करेंगे। जागरूक राक्षस और आक्रामक हिंदू। हम सफल ही होंगे, हमारी ध्येयनिष्ठा और श्रम के साथ हमारे रामजी की कृपा हमारे साथ है।
रिपोर्टर मोहम्मद यूसुफ