रायबरेली। शहरों को स्मार्ट बताने के लिए दावे हो रहे हैं, लेकिन अफसरों की उदासीनता विकास के पहिए को आगे बढ़ने नहीं दे रही है। लालगंज जिले की सबसे बड़ी व्यापारिक मंडी है। यहां करोड़ों का व्यापार होता है। आस पास के कई जिलों के लोग यहां व्यापार के लिए आते हैं, लेकिन हालात यह हैं कि बस स्टेशन न होने से उनको परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
करीब 20 वर्ष पहले लालगंज-कानपुर मुख्य मार्ग पर बैसवारा महाविद्यालय के सामने पांच बीघे भूमि पर करीब 20 लाख से परिवहन निगम ने बस स्टेशन का निर्माण कराया। यहां चहारदीवारी, दो कमरे, शौचालय के साथ भवन बना तो दिन रात बसों का ठहराव शुरू हो गया, लेकिन कुछ समय बाद ही यहां सन्नाटा पसर गया। बसों का संचालन बस अड्डे से ठप हो गया।
अब बस अड्डे पर अराजक तत्वों का जमावड़ा रहता है। करीब 30 साल पहले पुरानी पुलिस चौकी के पीछे खाली पड़े स्थान पर राजकीय परिवहन निगम बसों का ठहराव होता था। धीरे-धीरे कस्बे की आबादी बढ़ती गई, बसों की संख्या भी बढ़ी तो जगह की कमी महसूस होने लगी। 20 वर्ष पहले लालगंज- कानपुर मुख्य मार्ग पर बैसवारा महाविद्यालय के सामने पांच बीघे भूमि पर करीब 20 लाख से परिवहन निगम ने बस स्टेशन का निर्माण कराया।
क्या बोले लोग?
पूरे अमृत कुम्हड़ौरा निवासी विमलेश शुक्ल का कहना है कि बसों का संचालन कस्बे के अंदर से हो रहा था। दुकानदारों को फुटपाथ पर कब्जा था। नतीजा यह हुआ कि बसों के आवागमन के समय जाम की स्थित उत्पन्न होने लगी। लोगों ने इसका विरोध किया तो जिम्मेदारों ने अतिक्रमण हटवाने के बजाए बसों का संचालन नगर के अंदर से बंद करा दिया।