माथे पर लगाया तिलक, कलाइयों पर बांधी राखी
सीतापुर। भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र प्रेम और रिश्तों की प्रगाढ़ता का अनूठा पर्व रक्षा बंधन सोमवार को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रेशम के कच्चे धागों में घर-घर में सच्चे संकल्प गूंथे गए। बहनों ने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधी, रक्षा का वचन लिया, मिठाइयां खिलाईं और उपहार पाकर गदगद हुईं। सुबह से ही भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक इस अनूठे पर्व रक्षाबंधन का हर्षोल्लास हर चेहरे पर झलक रहा था। तड़के से ही पर्व की हलचल घरों व गली चौबारों में महसूस की जाने लगी थी। बहनों ने स्नान व पूजन करने के बाद राखी की थाल सजाई। भाइयों के माथे पर रोली-चंदन, अक्षत का टीका किया और कलाई पर सुरक्षा की गुहार और वचन में लिपटी राखी सजा दी। भाइयों ने संकल्प निभाने के वादे के साथ उपहार भी भेंट किए। पर्व को लेकर बच्चों में खूब उत्साह रहा। रंग-बिरंगे परिधान पहने व उपहार पाकर वे निहाल हो रहे थे। गांव हों या शहर, हर घर, गली, चौबारे में राखी की धूम चहक रही थी। जो बहनें दूर थीं, वे भी अपनी ससुराल से अपने भाइयों के पास पहुंचीं और उन्हें राखी बांध रक्षा का वचन लिया। रक्षाबंधन को लेकर बाजार में विशेष चहल पहल देखी गई। बाजार में जगह जगह रखी और मिठाइयों की दुकानें सजी थीं। बहने दुकानों में राखी खरीदती नजर आई। राखी बाजार में इस वर्ष अधिकांशत: देसी राखी ही बिक्री होती दिखी। अधिकांश लोग सितारा और नग वाली राखी खरीदते देखे गए। इस बार में पूर्व की भांति चाइनीज राखी बाजार से गायब दिखी।
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हर ओर दिखा जाम का झाम
अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए दूर-दराज ससुराल से भी बहनें मायके पहुंची थीं। कहीं भाइयों ने भी उनकी ससुराल जाकर राखी बंधवाई। इससे सड़कों पर भी खूब चहल-पहल रही। शहर से लगायत ग्रामीण अंचल तक की सड़कों पर पूरे दिन जाम का झाम रहा। वाहनों में जाती भीड़ पर्व की व्यस्तता का प्रमाण दे रही थी।