बड़ी मुश्किल से ई देशवा मोरा आजाद भा होई हय। केहू फाँसी चढ़ा होई है,कोई उल्टा टंगा होई हय।। कभो सपने मा न सोचिन हुई हय ई देश के बीरे। की हम फांसी पर चढबय,चोर गुंडन का भला होई हय।।
सीतापुर- 78 वर्ष स्वतंत्रता के पूरे हो गए है, लेकिन वि० ख० बेहटा अभी भी गुलामी की जंजीरो से आजाद नही हुआ है, जब पूरा देश आजादी के 78 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, इस आजादी को पाने के लिए जँहा देश वीरो ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए अगर अब उनकी आत्मा देश के हालात देख रही होगी तो शायद उनको भी बहुत अफसोस होता होगा की मैने किन रिश्वतखोर,घोटालेबाजो के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी, देश के उन तमाम पिछड़े शोषित वंचितो को न्याय व मूलभूत सुविधाओं के लिए देश को आजादी दिलाई गई ताकि इन सबको उनका हक मिल सके लेकिन जनपद में विकास के लिए आ रहे धन पर सरकारी मुलाजिम डांका डाल रहे है,इस डांके में जिला मुख्यालय से लेकर विकास खंडो पर तैनात कर्मचारी सभी शामिल है और सब अपना अपना हिस्सा लेकर नजरअंदाजी कर रहे है। जनपद मुख्यालय के विकास खंड बेहटा आजादी की 78 वर्ष बाद भी अपनी आजादी का इंतजार कर रही है,लेकिन घोटालेबाजो की गिरफ्त से निकल नही पायी शायद अब उसको भी उम्मीद है कि जनपद में कोई तो अधिकारी आएगा जो उसको आजाद कराएगा, 78 वर्षो से अभी तक तो ऐसा नही हुआ, शायद अब नवागन्तुक जिला अधिकारी विकास खंड को आजाद करा सके, सूत्रों की माने तो विकास खंड बेहटा में वित्तीय कार्य से लेकर मनरेगा के अंतर्गत कराये जा रहे कार्यो में जमकर घोटाला किया जा रहा है, या यूं कहें कि घोटाले को एक षड्यंत्र के रूप में रच कर अंजाम तक पहुचाया जाता है, मनरेगा कार्यो में कच्चे कार्यो का बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जमकर स्टीमेट बनाया जाता है और बाढ़ आने का इंतजार किया जाने लगता है, बाढ़ के आते ही लाखो रुपयो का सभी अधिकारी मिलकर हजम कर जाते है, हजामा भी इतना फिट की डकार तक नही आती क्योकि हजामे की दवाई जिला मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों से जाती है जिसके एवज में वो अभी अच्छी खासी फीस वसूल करते है, घोटाले बाजी में विकास खंड में तैनात खण्ड विकास अधिकारी व रिटायर्ड श्री वर्मा के संरक्षण में सभी वित्तीय कार्यो में सचिव व प्रधान की मिलीभगत से सरकारी धन का चूना लगाया जाता है तो मनरेगा में टी ए से लेकर रोजगार सेवक सभी मलाई काट रहे है।
बॉक्स- सूत्रों की माने तो विकास खंड बेहटा जनपद के सभी विकास खंडो से ज्यादा भृष्ट है यहां तक कि कुछ प्रधान बेहटा को ब्यहाता भी कहते है क्योंकि यँहा पर अभी किसी वर्मा जी नामक रिटायर्ड अधिकारी का राज चलता है, वही सूत्र यह भी बताते है कि श्री वर्मा की मर्जी के बिना विकास खंड में पत्ता नही हिलता है, क्योकि कार्य की मंजूरी से लेकर पूर्ण होने तक कि प्रकिया में श्री वर्मा की मुख्य भूमिका रहती है, कमीशन वगैरा सबकुछ वही सेट करते है और अपने चहेतों को लाभ पहुचाने के लिए फर्जी स्टीमेट तक बनवा देते है, इंटरलॉकिंग,खड़ंजा सब कुछ लागत से कई गुना ज्यादा में तैयार कर दिया जाता है।