गोरखपुर। माटी के विशेष शिल्प टेराकोटा से पीढ़ियों से जुड़े शिल्पकारों के पास सात साल पहले तक घर-परिवार का खर्च निकालने भर का ही काम रहता था। कई बार तो खाली बैठने की नौबत आ जाती थी। दूरदर्शी सोच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टेराकोटा को एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किया तो अब शिल्पकारों के पास काम इतना रहता है कि उनके हाथ खाली नहीं रहते हैं। दशहरा और दीपावली आने में अभी करीब ढाई महीने बाकी हैं लेकिन गोरखपुर के कई टेराकोटा शिल्पकार दूसरे राज्यों में कई ट्रक उत्पाद की आपूर्ति कर चुके हैं। एडवांस ऑर्डर लगातार पूरे किए जा रहे हैं और काम की अधिकता के चलते नए ऑर्डर स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं।
टेराकोटा को पंख लगाने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। टेराकोटा शिल्प को उद्यम में बदलने के लिए उन्होंने इसे बहुआयामी और महत्वाकांक्षी एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किया। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम की अगुवाई में ऐसी जबरदस्त ब्रांडिंग हुई कि इसके बाजार का अपार विस्तार हो गया। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन मशीन आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुनी हो गई। गुणवत्ता अलग से निखर गई।
वर्तमान में टेराकोटा के मूल गांव औरंगाबाद के साथ ही गुलरिहा, भरवलिया, जंगल एकला नंबर-2, अशरफपुर, हाफिज नगर, पादरी बाजार, बेलवा, बालापार, शाहपुर, सरैया बाजार, झुंगिया, झंगहा क्षेत्र के अराजी राजधानी आदि गांवों में टेराकोटा शिल्प का काम वृहद स्तर पर चल रहा है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद बाजार बढ़ने से करीब 30-35 फीसद नए लोग भी टेराकोटा के कारोबार से जुड़े हैं। एक तरह से इसके ब्रांड एम्बेसडर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं और, इस ब्रांडिंग ने शिल्पकारों को बारह महीने काम से सराबोर कर दिया है।
मांग और बाजार को लेकर राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिल्पकार राजन प्रजापति का कहना है कि अब तो हमारे पास पूरे साल काम रहता है। मार्च से ही दशहरा-दिवाली के ही ऑर्डर पर काम चल रहा है। काम इतना है कि एक दिन में चौबीस घंटे भी कम पड़ जा रहे हैं। बकौल राजन, वह अब तक दशहरा और दिवाली से जुड़े ऑर्डर के आठ ट्रक उत्पाद की सप्लाई कर चुके हैं। तीन ट्रक माल गुजरात के अहमदाबाद, दो-दो ट्रक हैदराबाद और आंध्र प्रदेश तथा एक ट्रक माल राजस्थान भेज दिया गया है। अभी लगातार काम जारी है ताकि शेष ऑर्डर को समय रहते पूरा किया जा सके। राजन कहते हैं कि महाराज जी (सीएम योगी) ने हमारे टेराकोटा का ऐसा कायाकल्प करा दिया है कि काम की कोई किल्लत ही नहीं है। उन्होंने हर जगह टेराकोटा की इतनी चर्चा कर दी है कि आज हमारे उत्पाद की मांग पूरे देश में हैं।
टेराकोटा शिल्प के लिए कई मंचों पर सम्मानित हो चुके शिल्पकार अखिलेश प्रजापति भी टेराकोटा की भरपूर मांग को सीएम योगी की तरफ से उठाए गए कदमों और उनकी ब्रांडिंग की देन बताते हैं। त्योहारी मांग के एवज में चार ट्रक टेराकोटा उत्पाद उत्तराखंड और मुंबई भेज चुके अखिलेश का कहना है कि ऑर्डर की सप्लाई के लिए लगातार काम करना पड़ रहा है। वह मानते हैं कि पहले काम काफी कम होता था लेकिन ओडीओपी में शामिल होने के होने के बाद टेराकोटा की डिमांड खूब बढ़ी है। झांसी और इंदौर के लिए एक-एक ट्रक माल भेज चुके टेराकोटा शिल्पकार जितेंद्र भी टेराकोटा कारोबार में आए जबरदस्त उछाल का श्रेय योगी सरकार की ओडीओपी योजना को देते हैं। उनके मुताबिक ओडीओपी से टेराकोटा शिल्पकारों को फायदा ही फायदा है।
ऐसे शिल्प से उद्यम की तरफ बढ़ा टेराकोटा
2017 के पहले तक टेराकोटा शिल्पकारों के पास संसाधनों का अभाव था। वह सारा काम हाथ से करते थे। ओडीओपी में शामिल होने के बाद उन्हें इलेक्ट्रिक चाक मिले, पगमील मशीन मिली। हस्तचालित चाक की तुलना में इलेक्ट्रिक चाक पर तेजी से कलाकृतियां बन जाती हैं। जबकि पगमील के जरिए 24 घंटे के बराबर मिट्टी की गुथाई एक घंटे में हो जाती है। इसका असर यह हुआ कि जितने उत्पाद एक दिन में तैयार होते थे, अब उतने दो घंटे में बन जाते हैं। पूंजी का संकट दूर करने के लिए भारी अनुदान पर आसानी से ऋण मिल जाने से काम और भी आसान हो गया। शिल्पकारों को संसाधन उपलब्ध कराने साथ ही सरकार ने बड़ा बाजार दिलाने के लिए इसकी ब्रांडिंग की। बड़े-बड़े महानगरों में तमाम प्रदर्शनी लगवाई, शिल्पकारों को पुरस्कार देकर उत्साहित किया, बड़ी हस्तियों को भेंट करने के लिए टेराकोटा के उत्पादों को प्राथमिकता दी गई।