विकसित भारत के लिए पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण अंग:प्रो. एमपी सिंह

  • पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की 132 वीं जयंती के अवसर पर यूपीएलए लखनऊ शाखा द्वारा किया गया व्याख्यान का आयोजन

भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की 132 वीं जयंती के अवसर पर उ.प्र. पुस्तकालय संघ लखनऊ शाखा द्वारा “विकसित भारत के लिए पुस्तकालय” विषय पर व्याख्यान का आयोजन राजकीय पॉलीटेक्निक लखनऊ के सभागार में किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में डीन सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विद्यापीठ, बीबीएयू लखनऊ प्रो. एमपी सिंह ने कहा कि आदिकाल से ही ज्ञान संरक्षण में पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राष्ट्र के कला एवं सांस्कृतिक विरासत के सहेजने का कार्य पुस्तकालयों के द्वारा किया जा रहा है। आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के कारण सिर्फ पुस्तकालयों का स्वरूप परिवर्तित हुआ है। राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास लिए ज्ञान और विज्ञान दोनों आवश्यक अंग है। जिसका विकास पुस्तकालयों से बिना असंभव है। डॉ. एस आर रंगनाथन द्वारा बताए गए पुस्तकालय विज्ञान के नियम आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने नए लाइब्रेरियन को सलाह भी दिया कि वे तकनीकी को आत्मसाथ करें।

इस अवसर पर उ.प्र. पुस्तकालय संघ लखनऊ शाखा के पदाधिकारियों द्वारा आरडीएसओ पुस्तकालय से सेवानिवृत्ति लखनऊ शाखा के आजीवन सदस्य अवधेश कुमार श्रीवास्तव को उत्कृष्ट योगदान के लिए भी सम्मानित किया गया। मंच संचालन डॉ. मनीष बाजपेयी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन लखनऊ शाखा के अध्यक्ष विनोद कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर पदाधिकारियों में महामंत्री गिरीश चंद्र, उपाध्यक्ष मो. एहतिशाम, सेक्रेटरी कुंवर अभिषेक प्रताप, संयुक्त मंत्री आरसी गुप्ता और सदस्यों में सुशील त्रिपाठी, हिमांशु अंचल, अफरोज आलम, सुनील कुमार उपस्थित रहे।उक्त कार्यक्रम में लखनऊ एवं आसपास जनपदों के विभिन्न संस्थानों जैसे लविवि, बीबीडीयू, कैरियर संस्थान, इंट्रीगल विवि आदि से पुस्तकालय जगत से सैकड़ों पदाधिकारी एवं प्रोफेसर उपस्थित रहे।

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