शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला सहित राज्य के अधिकांश भागों में मंगलवार को बादल छाए हुए हैं। हालांकि बीती रात कुछ स्थानों पर बारिश भी हुई। मौसम विज्ञान विभाग ने आगामी 18 अगस्त तक प्रदेश में मानसून के सक्रिय बने रहने की संभावना जताई है। इस दौरान मैदानी व मध्यपर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान पांच जिलों चंबा, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और शिमला में बाढ़ का खतरा जताया है। इन जिलों में बाढ़ आने की आशंका जताई गई है। मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए प्रशासन ने लोगों को नदी-नालों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है। दो दिन पहले ऊना और सिरमौर जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई थी।
राज्य में विगत एक सप्ताह में हुर्ह व्यापक वर्षा से नदी-नालों का जलस्तर बढ़ा हुआ है और जगह-जगह भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार भूस्खलन से प्रदेश में दो राष्ट्रीय उच्च मार्ग और 197 जड़कें अवरूद्व हैं। इसके अलावा 211 बिजली के ट्रांसफार्मर व 143 पेयजल परियोजनाएं भी ठप्प हैं। शिमला जिला में सबसे ज्यादा 66 सड़कें भूस्क्षलन से बंद हैं। सिरमौर में 58, मंडी में 33, कुल्लू में 26, किन्नौर में पांच, कांगड़ा व लाहौल-स्पीति में चार-चार सड़कों पर आवाजाही बाधित है। इसके अलावा कुल्लू में नेशनल हाईवे-305 और किन्नौर में नेशनल हाईवे-पांच भी ठप है। वहीं बिजली ट्रांसफार्मर की बात करें तो ऊना में 118, मंडी में 45, कुल्लू में 34, हमीरपुर में छह, सोलन में चार, चंबा में 3 और किन्नौर में एक ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं। भारी वर्षा से बिलासपुर में 60 पेयजल परियोजनाएं बाधित हुई हैं। इसी तरह शिमला में 33, कुल्लू में 29, लाहौल-स्पीति में सात, सिरमौर में 11, उना में दो और चंबा में एक पेजयल परियोजना ठप हुई है।
प्रदेश में मानसून सीजन के पिछले 47 दिनों में हुई बारिश, भूस्खलन व बाढ़ से हुई क्षति एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार लोकनिर्माण विभाग को 436 करोड़, जलशक्ति विभाग को 403 करोड़ और बागवानी विभाग को 139 करोड़ का नुकसान पहुंचा है। मानसून के दौरान वर्षा से जुड़े हादसों में 194 लोगों की मौत हुई और 33 लापता हैं। इसके अलावा 328 लोग घायल हुए हैं। बादल फटने, बाढ़ व भूस्खलन से राज्य भर में 108 घर, 26 दुकानें और 237 पशुशालाएं ध्वस्त हुईं, जबकि 264 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है।