अलीगढ़। फर्नेस कारोबारी अमित गोयल अक्की का कारोबार के चलते विवादों से पुराना नाता है। फर्जी आइटीसी का लाभ उठाने के चक्कर में उनकी तीन फर्में निरस्त हो चुकी हैं। एक मामले की जांच के लिए देहरादून सीबीआइ भी अलीगढ़ आई थी। गाजियाबाद की एक फर्म ने लोन लेकर बैंक से इसी तरह करोड़ों की धोखाधड़ी की थी।
शहर की एक फर्म गाजियाबाद वाली फर्म से लेन-देन करती थी तो उसकी जांच के संबंध में करीब छह वर्ष पहले सीबीआइ देहरादून की टीम आई थी। उस समय अमित गोयल कारोबार देखते थे तो उनका नाम भी सामने आया था। उनका दावा है कि जांच के बाद उन्हें क्लीनचिट मिल गई। गुरुवार को हुई कार्रवाई सुर्खियों में रही।
अमित गोयल के गुरु रामदास नगर के आवास पर हुई सीबीआइ की कार्रवाई का व्यापारी एक-दूसरे से अपडेट लेते रहे। पूर्व में उनकी फर्मों पर हुई कार्रवाई को भी याद करने लगे। राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) में ज्वाइंट कमिश्नर एसआइबी गुलाब चंद ने बताया कि अनिल गोयल की फर्म मेसर्स भोले कानकेस्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स अमित ट्रेडर्स और नमन ट्रेडर्स को कैंसिल किया जा चुका है।
वर्ष 2018-19 से लेकर 2021-22 तक इन पर जीएसटी एसआइबी ने कार्रवाई की। तत्कालीन लोगों से पता करने पर जानकारी मिली कि गलत बिलों से फर्जी आइटीसी प्राप्त करने के विरुद्ध कार्रवाई की गई थीं। सीबीआइ द्वारा कोई जगह या फर्म का रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा तो इस संबंध में पड़ताल के लिए अगला कदम उठाया जाएगा। अभी उक्त नाम से स्टेट जीएसटी में इनका कोई पंजीकरण नहीं है।
अधिवक्ता ने दिया सीबीआइ को मानहानि का नोटिस
कारोबारी के अधिवक्ता कनिष्क सिन्हा ने कहा कि सीबीआइ ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत नोटिस दिया था। इसके विरुद्ध कारोबारी ने राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस पर सीबीआइ ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा था। 28 अगस्त को सुनवाई होनी है। सीबीआइ ने एक तरफ हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया था कि अमित गोयल गवाह हैं और वह अन्य दोषियों को पकड़ने के लिए उनकी मदद चाहते हैं। उनके साथ कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा।
कई घंटे की तलाशी के बाद सीबीआइ पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट और अकाउंट स्टेटमेंट को छोड़कर कोई भी अवैध सामग्री हासिल करने में विफल रही। कारोबारी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सीबीआइ को मानहानि का नोटिस दिया गया है। सीबीआइ ने पुराने कानून की धारा 78 का पालन किए बिना दिल्ली एसीएमएम कोर्ट से पुराने कोड की धारा 93 के तहत सर्च वारंट जारी कराया है, जबकि मामला राउज एवेन्यू में विशेष न्यायाधीश सीबीआइ पीसी एक्ट 11वीं कोर्ट के समक्ष चल रहा है।
राकेश गुप्ता हैं मुल्जिम, मुझे सीबीआइ ने बनाया गवाह
अमित गोयल ने बताया कि बैंक धोखाधड़ी में राकेश गुप्ता आरोपित हैं। जिनकी दिल्ली में वीएस मेटलिक व शिवम कोआपरेशन नाम से फर्म हैं। इनकी फर्मों से पिग आयरन लेते थे। राकेश पर बैंक से धोखाधड़ी का केस चल रहा है। पूछताछ में राकेश ने उन सभी फर्मों की सूची सीबीआइ को दी, जो उससे जुड़े थेीं।
इसमें मेरी फर्म अमित ट्रेडर्स का भी नाम था। सीबीआइ ने पिछले वर्ष अमित को जयपुर बुलाया और कागजातों का सत्यापन कर भेज दिया। छह माह उन्हीं कागजों के साथ फिर बुलाया और नोटिस भेजा। वहां जाने की बजाय अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने बताया कि सीबीआइ ने एक के बाद एक 18 नोटिस भेजे।
सभी नोटिस के जवाब दाखिल किए। सीबीआइ ने अदालत ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा कि मैं इस केस में गवाह हूं। इस पर 28 अगस्त को सुनवाई होनी है। अमित का आरोप है कि राकेश गुप्ता की फर्म पर उनके 47 लाख रुपये निकल रहे हैं। सीबीआइ ने भी अपने हलफनामे में इसका जिक्र किया है।
आगरा से आकर शुरू किया कारोबार
आगरा का मूल निवासी गोयल परिवार 1998 में अलीगढ़ आया था। अमित गोयल के पिता मूलचंद्र गोयल ने अन्य स्वजन के साथ झम्मन लाल सरिया मिल, एलडी गोयल रोलिंग मिल के अलावा सासनी में बालाजी फर्नेस फैक्ट्री डाली। आगरा में ताज ट्रेपेजिय के नियमों के पालन के चलते इनकी वहां सरिया मिल व फर्नेस फैक्ट्री बंद हो गईं थीं। शुरुआत में अमित गोयल ने स्क्रेप व इंगट की खरीद बिक्री का काम किया था।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क व सीमा शुल्क विभाग (अब सेंट्रल जीएसटी) ने इनके यहां कई बार सर्वे भी किए। 2011 में गौंडा रोड पर डिगसी के पास भोले कांकनेस्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम से दो राठी परिवार और गोदानी परिवार के साथ फर्नेस फैक्ट्री खोली। आठ माह बाद दोनों साझीदार अलग हो गए। फैक्ट्री का संचालन अमित गोयल ने अपने हाथ में ले लिया। ये फैक्ट्री वर्ष 2012-13 में बंद हो गई। केंद्रीय उत्पाद शुल्क व सीमा शुल्क विभाग ने कई बार सर्वे, छापे मारे। अमित प्रापर्टी डीलर भी हैं।
वारंट में पिता को दर्शा दिया मृत : कारोबारी
कारोबारी अमित गोयल ने बताया कि सीबीआइ की टीम जिस वारंट को लेकर आई थी, उस पर मेरे पिता को मृत दर्शा दिया गया है। अंग्रेजी में लिखे वारंट पर अमित गोयल पुत्र स्वर्गीय (लेट) मूलचंद गोयल लिखा था। पिता घर में ही मौजूद थे। सवाल है कि सत्यापन किए बिना पिता के नाम आगे लेट कैसे लगाया गया। इससे स्पष्ट है कि हमें फंसाने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है। अदालत को भी गुमराह किया गया है।
कार्रवाई न्यायसंगत नहीं
कारोबारी के घर पहुंचे सपा महासचिव मनोज यादन ने कहा है कि सीबीआइ की कार्रवाई न्याय संगत नहीं है। वैसे जांच एजेंसी दोषियों को पकड़ने में उनकी मदद चाहते हैं। दूसरी ओर उनके घर की तलाशी ली जा रही है। पूर्व में कोई नोटिस नहीं दिया गया। न ही स्थानीय अधिकारी को सूचना दी।
जिला मजिस्ट्रेट से भी अनुमति नहीं ली गई। अमित के कहने पर सपा नेता मनोज यादव, अब्दुल हमीद घोषी उनके घर पहुंचे थे। उनके सामने टीम ने तलाशी शुरू की। उद्योग व्यापार संगठन के मंडल प्रभारी अनुराग गुप्ता ने गुरुवार को कारोबारी पर सीबीआइ की छापामार कार्रवाई पर विरोध जताया। कहा, बिना व्यापारी प्रतिनिधि के तलाशी नहीं ली जा सकती है।
लैपटाप, टाइपराइटर व अन्य मशीन मंगाईं
सीबीआइ की टीम दो गाड़ियों में बन्नादेवी पुलिस के साथ कार्रवाई के लिए पहुंची थी। पुलिसकर्मी कारोबारी के बराबर वाले मकानों के बाहर बैठे रहे। टीम के कुछ सदस्य घर के अंदर-बाहर जाते-आते रहे। गाड़ी में से लैपटाप व अन्य मशीनों को अंदर ले जाया गया। कार्रवाई के दौरान कालोनी में सन्नाटा रहा।