विचार संगोष्ठी में 9 अगस्त को राष्ट्रीय संकल्प दिवस घोषित करने का रखा प्रस्ताव
बाराबंकी। महात्मा गांधी ने हिंदुस्तान को निर्भय बनाया और लोहिया ने हिंदुस्तान को सड़क पर उतारा था। गांधी ने कहा था कि भय छोड़ो और आजादी की लड़ाई में लड़ो, लेकिन आज हमने भय को पकड़ लिया है और अब आजादी पर चर्चा कर रहे है। गांधी के उत्तराधिकारी बनकर जिन्होंने सत्ता सुख भोगा, वह नहीं चाहते थे कि 9 अगस्त को आजादी की लड़ाई का संघर्ष हो। लेकिन जनता ने कांग्रेस के नेतृत्व को बौना कर दिया। गांधी समेत तमाम कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के बाद आन्दोलन को समाजवादियों ने जिंदा रखा। समाजवादियों ने बता दिया कि यह हिंदुस्तान जब-जब बंटेगा, तब-तब साम्राज्यवाद आएगा। यह बात गांधी भवन में शुक्रवार को अगस्त क्रांति दिवस की 82वीं वर्षगांठ पर आयोजित भारतीय स्वतंत्रता और जन दिवस विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिंतक एवं लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक रघु ठाकुर ने कही। इस मौके पर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने 9 अगस्त को राष्ट्रीय संकल्प दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर ध्वनि मत से प्रस्ताव पास किया गया। इससे पहले श्री ठाकुर ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर मार्ल्यापण पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। श्री ठाकुर ने आगे कहा कि नौ अगस्त को आजादी के संघर्ष की शरूआत हुई लेकिन आजादी हमें कृपा पूर्वक ली गई। यानी 15 अगस्त आजादी की कृपा का दिन है। जबकि आजादी का दिन 9 अगस्त है। 9 अगस्त के रूप में आजादी के संघर्ष का इतिहास जुड़ा है। नेहरू और पटेल आजादी की लड़ाई शुरू करने के पक्षधर नहीं थे। पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सपा के राष्ट्रीय सचिव अरविन्द कुमार सिंह गोप ने कहा कि गांधी के आह्वान पर देश की जनता ने अहिंसा के मर्म को नहीं समझा। तब समाजवादी विचारधारा के नेता और तत्कालीन मुम्बई के मेयर युसूफ मेयर अली ने भारत छोड़ो का नारा दिया। आजादी की यह निर्णायक लड़ाई डॉ. लोहिया और अन्य समाजवादी नेताओं ने एकजुट होकर लड़ी। जिनकी कुर्बानियों के बाद देश आजाद हुआ। आचार्य नरेन्द्र देव समाजवादी संस्थान के संयुक्त सचिव नवीन चन्द तिवारी ने कहा कि 9 अगस्त को स्वतंत्रता की नींव पड़ी। इस आजादी को हम बचा नहीं पाए। आज स्थिति यह है कि हम चौराहे पर खड़े होकर बोल नहीं सकते। पूर्व विधायक सरवर अली ने कहा कि 9 अगस्त 1942 की तारीख देश की जनता को समर्पित है। इस तिथि को भारत सरकार राष्ट्रीय संकल्प दिवस घोषित करे। लोकतंत्र रक्षक सेनानी राजनाथ शर्मा ने कहा कि 1942 की क्रान्ति में युवा समाजवादियों के हाथ में आन्दोलन की कमान जाने से कांग्रेस का वृद्ध नेतृत्व नाराज था। शायद यही कारण रहा होगा कि 9 अगस्त के जन-दिवस को स्वतंत्रता दिवस न मानकर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस रखा गया। समाजसेवी उमैर किदवई ने कहा कि 1857 में भारत के जनमानस में एका नहीं थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि हम अंग्रेजों से लड़ाई हार गए। यही एका महात्मा गांधी के नेतृत्व में 9 अगस्त 1942 को देखने को मिला। जिस लड़ाई के बाद हमें आजादी मिली। संगोष्ठी का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर विनय कुमार सिंह, अमिताभ यादव, सलाउद्दीन किदवई, मृत्युंजय शर्मा, अशोक शुक्ला, अनुपम सिंह राठौर, हुमायूं नईम खान, सभासद ताज बाबा राईन, अश्वनी शर्मा, सत्यवान वर्मा, विजय कुमार सिंह मुन्ना, सुहैल अहमद किदवई, बाराती वर्मा, रामू वर्मा, ज्ञान सिंह यादव, पत्रकार संतोष शुक्ला, सैफ मुख्तार, वीरेन्द्र प्रधान, हसमत अली, भागीरथ गौतम, तौकीर कर्रार, अशोक जयसवाल, संजय सिंह आदि कई लोग मौजूद रहे।