राहुल, अखिलेश, तेजस्वी, केजरीवाल व ओवैसी की जमात कर रही वोट के लिए ड्रामा
नई दिल्ली। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच वर्तमान वक्फ बोर्ड को देश की विकास में रोड़ा मानता है। मंच का मानना है कि वक्फ बोर्ड के नियमों में संशोधन बेहद जरूरी है। मंच के रास्ते संयोजक मंडल ने कहा है कि वक्त बोर्ड लूट और रंगदारी का अड्डा है जहां गुंडागर्दी आंधी कमाई और अकूत भ्रष्टाचार का माफिया राज चलता है।
‘वक्फ में पावरफुल लोगों का कब्जा’
राष्ट्रीय संयोजक मंडल की तरफ से शाहिद ने कहा कि काफी समय से बड़ा मुस्लिम गरीब मुस्लिम महिला तलाकशुदा महिलाओं के बच्चे पूछ रहे हैं कि सरकार वक्त बोर्ड कानून में संशोधन क्यों नहीं कर रही है? आज आम मुसलमान की वक्फ में जगह ही नहीं है, वक्फ में सिर्फ पावरफुल घुसपैठ किए हैं प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वास्तु परिषद और राज्य बोर्ड में महिला का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके समावेशित को बढ़ाना है और आम लोगों के अधिकार को सुनिश्चित करना है।
‘बोर्ड में भ्रष्टाचारियों की जमात’
राष्ट्रीय संयोजक सहित अख्तर का कहना है कि दुखद बात यह है कि इंडिया गठबंधन में चाहे राहुल गांधी हो या अखिलेश यादव, शरद पवार हो या तेजस्वी यादव ममता बनर्जी हो या असदुद्दीन ओवैसी वोट बैंक की खाते सभी भ्रष्टाचारियों की जमात की तरह वक्फ बोर्ड को बेनकाब होने से बचाने में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं और यह सब कुछ वे सभी मुस्लिम वोटों की खातिर कर रहे हैं।
बड़ी संख्या में मुसलमान बोर्ड के खिलाफ
मोहम्मद अफजल ने बताया कि मंच के रास्ते संयोजक मंडल का मानना है कि भारत में वक्फ बोर्ड की कार्यशैली और संपत्तियों के खिलाफ देश के मुसलमान बड़ी तादाद में एकजुट है और हजारों की तादाद में उन्होंने केंद्र सरकार को शिकायत तो के रूप में चिट्ठियां लिखी है उन्होंने बताया कि मंच के राष्ट्रीय संयोजक मंडल के सदस्य मोहम्मद अफजल शाहिद अख्तर मजीद तालिकोटि सैयद राजा हुसैन रिजवी गिरीश जायल विराग 54 इरफान अहमद पीरजादा एसके मुद्दीन अबू बकर नकवी रेशमा हुसैन शालिनी अली शाहिद शाहिद इस्लाम अब्बास मोहम्मद इलियास और हबीब चौधरी ने एकमत से वक्फ बोर्ड में रिफॉर्म्स किए जाने की बात की है।
‘भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे नेता’
राष्ट्रीय संयोजक शालिनी अली ने कहा कि क्या देश में सद्भाव और भाईचारा लाने की दिशा में वक्फ बोर्ड कभी कोई पहल नहीं की। क्या वक्फ बोर्ड के लिए हिंदुस्तान की एकता खंडवा और संप्रभुता कोई मायने नहीं रखती? जहां तक वक्फ के रेवेन्यू पर सवाल है क्या वह बोर्ड आंकड़े रख सकता है कि कितना रेवेन्यू होता है इसका कोई आकलन नहीं करने दिया जाता है। आखिर क्यों इस पर वक्फ बोर्ड मौन धारण कर लेता है और उनके भ्रष्टाचार को कुछ मौलवी, मौलाना व सियासी नेता संरक्षण दे रहे हैं।
सरकार का प्रस्ताव सर्वोत्तम
देश का मुसलमान बदहाल है। अब और वक्फ बोर्ड वाले मौज से संपत्तियों और बैंक बैलेंस बनाए जा रहे हैं। वक्फ वालों की यह संपत्ति उनके परिवार वालों के नाम पर मिल जाएगी, उनके ठिकाने विदेश में भी पाए जाएंगे। वक्फ में ट्रांसपेरेंसी बिल्कुल नहीं है। वक्फ का वही हाल है जो कभी सीताराम केसरी का था ‘‘खाता ना वही केसरी जो कहे वही सही’’ लेकिन वर्तमान और भविष्य में ऐसा नहीं चलेगा केंद्र में मजबूत नियत की दमदार सरकार है जिसने सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय हित में अनेकों कठोर निर्णय लिए हैं और सरकार मुस्लिम समाज में सुधार के लिए एक बार फिर आगे बढ़कर बड़े सुधार की ओर अग्रसर है। जैसा तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने कानून बनाया, तलाक को इस्लाम में हराम माना, खुद की सबसे बड़ी नापसंद बताया गया है। मुस्लिम मजहबी नेता जवाब दें ना कि मुसलमान को गुमराह कर भड़काएं।