सनातन संस्कृति के जीवंत उदाहरण थे संगठन मंत्री जवाहर प्रसाद मिश्रा

खलियारी (सोनभद्र) नगवा विकास खंड क्षेत्र के खलियारी में स्थित निर्मल भवन के प्रांगण में गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे स्व जवाहर प्रसाद मिश्रा की स्मृति में पौधारोपण कार्यक्रम संपन्न हुआ । इस दौरान अखिल भारतीय भगवान श्री परशुराम अखाड़ा परिषद के पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि धूल और धुएँ की बस्ती गोटी बांध में पले एक साधारण परिवार के बालक अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण संघ संपर्क में आए और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मां भारती को समर्पित कर दिया.उनमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की संकल्पशक्ति,आचार्य चाणक्य की निश्चयात्मिका बुद्धि थी.जवाहर के बौद्धिक का ऐसा जादू था कि लोग उन्हें सुनते ही रहना चाहते हैं। उनके व्याख्यानों की प्रशंसा उनके विरोधी भी करते थे। उनके अकाट्‍य तर्कों का सभी लोहा मानते हैं। उनकी वाणी सदैव विवेक और संयम का ध्यान रखती है। बारीक से बारीक बात वे हँसी की फुलझड़ियों के बीच कह देते हैं। उनकी मां की बात बौद्धिक में छन-छनकर आती रहती थी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग बौद्धिक प्रमुख धनंजय पाठक ने कहा कि यद्यपि उनकी बौद्धिकता का प्रधान स्वर राष्ट्रप्रेम का था तथापि उन्होंने सामाजिक तथा वैचारिक विषयों पर भी तमाम कार्यों किया हैं। प्रकृति की छबीली छटा पर तो वे ऐसा मुग्ध होते हैं कि सुध-बुध खो बैठते थे । हिंदी के वरिष्ठ समीक्षकों ने भी उनकी विचार-प्रधान नई बौद्धिकता और सोच की सराहना की है. जवाहर कहा करते थे कि राष्ट्रभक्त के आगे सच्चा लगाकर सच्चा राष्ट्रभक्त’ कहना बहुत ही दिलचस्प प्रश्न है अपने में राष्ट्र भक्त शब्द तो खुद में पूर्ण है उसके लिए सच्चा झूठा लगाने की आवश्यकता नहीं है। जो सच्चा है वो ही राष्ट्रभक्त है।मेरे लिए राष्ट्रीयता और मानवता एक ही चीज़ है. मैं राष्ट्रभक्त इसलिए हूं कि मैं मानव और सहृदय हूं.जिस राष्ट्रभक्त में मानवतावाद के प्रति उत्साह कम है, वह उतना ही कम राष्ट्रभक्त भी माना जायेगा.मैं भारत का विनम्र सेवक हूं और भारत की सेवा करने का प्रयास करते हुए, मैं समूची मानवता की सेवा कर रहा हूं. मैंने अपने जीवन के आरम्भिक दिनों में ही यह समझ लिया था कि भारत की सेवा और मानवता की सेवा के बीच कोई विरोध नहीं है. जैसे–जैसे मैं बड़ा हुआ, और शायद मेरी बुद्धि का भी विकास हुआ, मुझे लगने लगा कि मेरी धारणा ठीक ही थी और आज लगभग 50 वर्ष के सार्वजनिक जीवन के बाद, मैं यह कह सकता हूं कि मेरा इस सिद्धांत में विश्वास और दृढ़ हुआ है कि सनातन सेवा और देश सेवा के बीच कोई विरोध नहीं है. यह एक अच्छा सिद्धांत है. इसे अंगीकार करने से ही देश की स्थिति में तनाव घटेगा और विभिन्न विभिन्न जातियों में बटे सनातन व्यक्तियों के बीच के पारस्परिक ईर्ष्या समाप्त होगी.

डा पी एन पांडे ने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली है कि उसे जसौली की धरा पर जन्म लिए जहां जवाहर प्रसाद मिश्र जैसे राष्ट्रभक्त ने अपने जीवन काल का प्रथम शिशुरूलन एवं हंसी ली वे एक राष्ट्र उत्थान के कार्य हेतु जीवन पर्यन्त समर्पित रहे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक, महान मनीषी, उत्कृष्ट विचारक, कुशल संगठनकर्ता एवं सिद्धांतवादी राष्ट्रभक्त थे साथ ही, भारत की सनातन परम्पराओं, शौर्य गाथाओं, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

विनय कुमार पांडे ने कहा कि जवाहर कहां करते थे मातृभूमि के प्रति हमारा दायित्व बहुत ही साफ है। जिस मिट्टी में हम पैदा हुए हैं, जिसकी भूमि में उपजाए गए अन्न से हमारा पोषण होता है, जहां के पंचतत्व से हमारा विकास हुआ है ,उस राष्ट्र के प्रति हमारा कुछ कर्तव्य बनता है। देश के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की याद दिलाने के लिये कोई विशेष समय नहीं होता। यह प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वे देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे और आवश्यकता के अनुसार उनका निर्वहन भी करें। विश्व के देशों के बहुत से ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं, जो कभी गरीब थे, लेकिन अपने देशवासियों की राष्ट्रभक्ति के बल पर विकसित देशों की कतार में आ खड़े हुए हैं। जापान जैसे देश इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों ने उसपर इतना कर्ज का बोझ लाद दिया था कि उससे उबरना उसके लिए मुश्किल हो गया था। लेकिन वहां के देशभक्त नागरिकों के अथक प्रयास व मजबूत इरादों के दम पर जापान आज विकसित देशों में शामिल है। हम कह सकते हैं कि कर्तव्य किसी भी व्यक्ति के लिए नैतिक या वैधानिक जिम्मेदारी हैं, जिनका पालन सभी को अपने देश के लिए करना चाहिए। यह एक ऐसा कार्य है, जिसका पालन देश के प्रत्येक व सभी नागरिकों को अपनी नौकरी या पेशे की तरह करना चाहिए। अपने राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता है। हर किसी को सभी नियमों व नियमन का पालन करने के साथ ही विनम्र व राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार होना चाहिए।

Related Articles

Back to top button