नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली की समय पूर्व रिहाई पर रोक के आदेश को बरकरार रखा है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने फिल्म शोले में खलनायक गब्बर सिंह के डायलाग, ‘सो जा बेटा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा’ का जिक्र करते हुए गैंगस्टर गवली की समय पूर्व रिहाई पर रोक लगाने के अपने पहले के आदेश को बरकरार रखने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि हमारे द्वारा दिया गया अंतरिम स्थगन आदेश सही है। सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के 5 अप्रैल के आदेश रोक लगाने वाले अपने पहले आदेश को बरकरार रखा है। दरअसल, 2007 में मुंबई शिवसेना के पार्षद कमलाकर जमसानदेकर की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गवली को बांबे हाई कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को 2006 की छूट नीति के तहत समय पूर्व रिहाई के लिए गवली के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान गवली की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि इस मामले के बाकी सह-अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है। बांबे हाई कोर्ट ने गवली को समय पूर्व रिहा करने का आदेश देकर सही किया था। इस पर कोर्ट ने कहा कि सभी सह अभियुक्त गवली की तरह नहीं थे। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील राजा ठाकरे ने कहा कि गवली के खिलाफ 46 केस हैं, जिसमें 10 केस हत्या के हैं।