तिरुवनंतपुरम। केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन का कहर लगातार जारी है। भूस्खलन प्रभावित इलाकों में मरने वालों की संख्या 158 पहुंच चुकी है। वहीं लगभग 191 लोग अभी भी लापता हैं।
इस बीच प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। भारतीय सेना, डीएससी केंद्र, प्रादेशिक सेना, एनडीआरएफ, भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के 1200 बचावकर्मी यहां तैनात हैं और लगातार बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। केरल सरकार ने बताया कि 200 से अधिक लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और 5,592 लोगों को भूस्खलन से प्रभावित इलाकों से बचाया गया।
पीएम मोदी ने की केरल के सीएम से बात
पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी घटना को लेकर केरल के सीएम से बात की है और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। वायनाड त्रासदी का मुद्दा बुधवार को संसद में भी उठा। घटना पर चिंता जाहिर करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनडीआरएफ की नौ टीमें पहले ही केरल भेजी जा चुकी है। साथ ही गृह मंत्री ने संसद में कहा कि केरल सरकार को एक हफ्ते पहले ही चेतावनी दे दी गई थी, लेकिन उन्होंने समय पर लोगों को नहीं निकाला।
राहत शिविरों में ले जाए जा रहे लोग
इधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं सहित 8,017 लोगों को जिले में स्थापित 82 शिविरों में स्थानांतरित किया गया है। मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा, ‘कैबिनेट की बैठक में स्थिति का मूल्यांकन किया गया। हम आदिवासी परिवारों को स्थानांतरित कर रहे हैं और उन लोगों को भोजन प्रदान कर रहे हैं, जो कहीं और जाने के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे व्यापक और समन्वित बचाव कार्यों के माध्यम से कुल 1,592 लोगों को बचाया गया है। वर्तमान में, वायनाड में 82 राहत शिविर हैं, जिनमें जिले के 2,017 व्यक्तियों को रखा गया है।’
उन्होंने कहा, ‘मेप्पडी में आठ शिविरों में 421 परिवारों के 1,486 लोग रह रहे हैं, मुंडक्कई में बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है और अट्टमाला एवं चूरलमाला में भी बचाव के प्रयास किए जा रहे हैं। आज अतिरिक्त 132 सेना कर्मी पहुंचे हैं। बचाव प्रयासों के लिए दो हेलीकॉप्टरों का भी उपयोग किया जा रहा है। कोझिकोड और थालास्सेरी सहित चार सहकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की एक टीम भी सहायता के लिए पहुंचेगी।’
बढ़ सकती है मरने वालों की संख्या
इधर, जिला प्रशासन के मुताबिक मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है और सैकड़ों लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इससे पहले मूसलाधार बारिश के कारण मंगलवार तड़के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कई लोगों की मौत हो गई।
मंगलवार तड़के हुई घटना
मंगलवार की सुबह पहाड़ी दरकने की घटनाएं उस समय हुईं जबकि लोग गहरी नींद में थे। पहला भूस्खलन देर रात करीब दो बजे हुआ और उसके बाद तड़के सवा चार बजे अगला भूस्खलन हुआ। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण काफी संख्या में मकान नष्ट हो गए। नदी-नाले उफन आए। रिहायशी इलाकों समेत चारों तरफ पानी और मलबा ही नजर आ रहा था। पेड़-पौधे उखड़ गए। कई वाहन पानी में बहते नजर आए। कई लोग सोते-सोते ही बाढ़ में बह गए।
चारों तरफ बर्बादी का मंजर
आपदा की विभीषिका का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बचावकर्मियों को नदियों और कीचड़ से लोगों के क्षत-विक्षत अंग मिल रहे हैं। प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे रहने वाले इस पहाड़ी क्षेत्र में अब चारों तरफ दिख रहा है तो सिर्फ और सिर्फ बर्बादी का मंजर। भारतीय सेना समेत बचाव दल फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
ध्वस्त हो चुके घरों और मलबे के ढेर के नीचे फंसे लोगों द्वारा मदद की गुहार लगाने के लिए किए जा रहे फोन भी प्राकृतिक आपदा की भयावह तस्वीर को बयां कर रहे हैं। रोते हुए लोगों द्वारा खुद की जान बचाने की गुहार लगाए जाने की वीडियो और तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर भी चलीं। आपदा प्रभावित लोग या तो अपने घरों में फंसे हुए थे या बाढ़ और बह गए पुलों के कारण उनके पास आने-जाने का कोई रास्ता नहीं था।