नई दिल्ली। कोचिंग सेंटर हादसे की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कुटुंब नामक संस्था ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। संस्था की तरफ से अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष उठाया।
ओल्ड राजेंद्र नगर घटना पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी
याचिकाकर्ता संगठन कुटुंब की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जो हुआ व दुर्भाग्यपूर्ण से कहीं अधिक है। इसी तरह से एक होटल में आग लगी थी और इसमें एक आईआरएस, एक विदेशी की मौत हुई थी। इसके अलावा मुखर्जी नगर, अनाज मंडी के साथ ही मुनिरका में बेबी केयर में आग की घटना हुई थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि हम एक तरह के जंगल में रह रहे हैं जहां लोग आग और पानी की वजह से मर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि राव आइएएस के संबंध में 26 जून को शिकायत भेजी गई, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
अगर समय पर कार्यवाही के लिए उचित कदम उठाया गया होता तो उन तीन युवाओं की जान बचाई जा सकती थी। इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा चाहिए।
आवासीय क्षेत्र में दर्जनों लाइब्रेरी चल रही हैं और मुझे नहीं पता कि एमसीडी खामोश क्यों बैठी है। इतना ही नहीं इन इलाकों में कई वर्तमान आयुक्त की संपत्ति है और यह कड़वा सच है। एमसीडी और अग्निशमन विभाग जानबूझकर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। जिला स्तर के अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पटेल नगर, करोल बाग, राजेंद्र नगर में कई बहुमंजिला इमारते हैं और एक-एक इमारत में 50 से 60 छात्र रह रहे हैं। यहां तक की बेसमेंट भी पीजी के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। प्रत्येक क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण रोकने के लिए डिजिग्नेटेड अधिकारी हैं, लेकिन वे काम नहीं कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि इमारत की प्रकृति के कारण कोचिंग सेंटर चलाने की अनुमति दी गई है। बेसमेंट का उपयोग सिर्फ स्टोरेज के लिए किया जा सकता है। निरीक्षण के बाद अग्निशमन विभाग के क्लियरेंस की जरूरत होती है।
दिल्ली सरकार: प्राधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जा रहा है और 75 इंडस्ट्री को नोटिस भेजा गया है। इसके अलावा 35 बंद किए गए हैं और 25 को सील किया गया है। हम कुछ भी जस्टिफाई नहीं कर रहे हैं, लेकिन कार्रवाई की जा रही है।
दिल्ली कोर्ट: सवाल यह है कि आखिर इस तरह की घटना क्यों हो रही है और होती है। आखिर देश के पुराने मूलभूत ढांचे को अपग्रेड क्यों नहीं किया जा रहा है। इस शहर के बुनियादी ढांचे और वर्तमान जरूरतों के बीच एक बड़ा अंतर है।
कोर्ट ने आगे पूछा कि आप बहुमंजिला इमारतों की अनुमति दे रहे हैं लेकिन उचित नाली नहीं है। आपने सीवेज को बरसाती जल निकासी के साथ मिश्रित कर दिया है, इसका उल्टा प्रवाह है।
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि एमसीडी सिर्फ अपनी जवाबदेही दूसरे पर डालने की कोशिश कर रही है। आखिर कार चालक को क्यों गिरफ्तार किया गया, आखिर उसकी क्या जिम्मेदारी थी।
कोर्ट: एमसीडी सिर्फ अपनी जवाबदेही दूसरे पर डालने की कोशिश कर रही है। आखिर कार चालक को क्यों गिरफ्तार किया गया, आखिर उसकी क्या जिम्मेदारी थी।
कोर्ट: हम एमसीडी से परियोजनाएं चलाने के लिए कहते हैं। उनका कहना है कि 5 करोड़ रुपये से ऊपर की कोई भी परियोजना स्थायी समिति द्वारा अनुमोदित की जाएगी। लेकिन कोई कमेटी नहीं है।
कोर्ट: कल, उन्होंने कहा था कि एक योजना कैबिनेट में जानी है। कैनिनेट मीटिंग की अगली तारीख क्या है, कोई नहीं जानता!
कोर्ट: आप इस शहर को चलाने की योजना कैसे बनाएंगे जब आप 5 करोड़ से अधिक की कोई राशि मंजूर नहीं कर सकते?
कोर्ट: दिल्लीपुलिस कहां है? कौन जांच कर रहा है? वहां इतना पानी कैसे जमा हो गया?
याचिकाकर्ता: राव आइएएस में नीचे भी बेसमेंट था। इसकी इजाजत कैसे है?
सरकारी वकील: 35 केंद्र बंद थे। हम निरीक्षण कर रहे हैं।
कोर्ट: आपको पहले अपना बुनियादी ढांचा बढ़ाना होगा और फिर बिल्डिंग उपनियमों को लिबरल बनाना होगा। आप उलटा कर रहे हैं।
कोर्ट: आप हर बाईपास करने वाले के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं
सरकारी वकील: कुछ नगर निगम अधिकारियों को उनकी गलतियों के कारण बर्खास्त कर दिया गया है।
कोर्ट: आपने जूनियर अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है, लेकिन उस वरिष्ठ अधिकारी के बारे में क्या, जिन्हें निगरानी करनी चाहिए थी? कभी-कभी वरिष्ठ अधिकारियों को निरीक्षण करना पड़ता है और स्वीकार करना पड़ता है। वे अपने एसी आफिस नहीं छोड़ रहे हैं।
कोर्ट: आपको इस मुफ्त संस्कृति पर निर्णय लेना है। इस शहर में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है जबकि इसकी योजना 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी। बुनियादी ढांचे को अपग्रेड किए बिना आप इतने सारे लोगों को समायोजित करने की योजना कैसे बनाते हैं?
कोर्ट: ऐसा नहीं है कि कोई निर्माण कार्य चल रहा है और एमसीडी के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है। आखिर आपके अधिकारियों को इसकी जानकारी क्यों नहीं है।
कोर्ट: इस संबंध में कोई भी बहाना सिर्फ और सिर्फ अपनी कमी को छुपाने के लिए है। अब जब तीन लोगों की मौत हो गई, तब आप यहां कह रहे हैं कि हम कार्रवाई करेंगे। जान इस तरह से नहीं जा सकती है, जिंदगी कीमती है।