हेपेटाइटिस बी और सी के रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, स्वास्थ्य विभाग के लिए बना चिंता का विषय

मुरादाबाद। मुरादाबाद में हेपेटाइटिस बी और सी (काला पीलिया) के रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है। चिकित्सक बता रहे हैं कि हेपेटाइटिस सी से संक्रमित व्यक्ति उपचार से ठीक हो सकता है लेकिन, यदि कोई हेपेटाइटिस बी से संक्रमित है तो उसका ठीक होना असंभव है, बशर्ते उसे जीवन भर दवा के बल पर जिंदगी काटनी होगी।

फिजिशियन डॉ. एनके मिश्र बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी और सी की बीमारी वाले बढ़ते रोगियों की संख्या को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जुलाई 2018 में राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण (एनवीएचसीपी-नेशनल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम) कार्यक्रम शुरू किया किया था। इस कार्यक्रम के प्रारंभ से ऐसे रोगियों के आंकड़े भी जुटाए जाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत से जिले में अब तक हेपेटाइटिस सी के 26,500 से भी अधिक रोगी चिह्नित हो चुके हैं। इसी तरह हेपेटाइटिस बी के भी कई हजार रोगी पाए गए हैं।

इधर, 2024 में जनवरी से 30 जून तक हेपेटाइटिस सी के 2,905 रोगी मिल चुके हैं। जबकि, हेपेटाइटिस बी के सात रोगियों का आंकड़ा सामने आया है। वैसे कार्यक्रम के प्रारंभ होने से अब तक हेपेटाइटिस बी के कुल 112 रोगी चिह्नित हुए हैं। फिजिशियन डॉ. मिश्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस सी के रोगी यदि तीन महीने तक दवा लेते हैं तो वह ठीक हो सकते हैं, लेकिन जिस व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी का संक्रमण है उसे जीवन भर दवा खानी होगी। इसमें यदि वह लापरवाही बरतता है तो उसकी मौत भी हो सकती है।
जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, हेपेटाइटिस सी के चिह्नित हुए रोगियों में से अब तक 2,268 व्यक्तियों का इलाज पूरा हो चुका है, वह स्वस्थ हो गए हैं। लेकिन, शेष 637 रोगियों का इलाज अभी भी चल रहा है। इसी तरह हेपेटाइटिस-बी के पंजीकृत कुल 112 रोगियों में से जिला अस्पताल में 104 रोगी नियमित दवा लेने आ रहे हैं।

हर रोज 40-50 की संख्या में आ रहे हेपेटाइटिस सी रोगी
फिजिशियन डॉ. एनके मिश्र बताते हैं कि हेपेटाइटिस सी (काला पीलिया) के रोगी प्रतिदिन 40-50 की संख्या में आ रहे हैं, जो चिंता वाला विषय है। इसका कारण वह इंजेक्शन से नशा लेने वालों की संख्या में इजाफा होना बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि नशेड़ी अक्सर कई लोगों के बीच नशा करते हैं और वह सभी एक ही सिरिंज का बार-बार करते हैं। इस कारण उनका रक्त संक्रमित हो जाता है, इसी से काला पीलिया के रोगी बढ़ते जा रहे हैं। दूसरा कारण, उन्होंने बताया कि बिना जांच के ब्लड चढ़ाने से भी लोगों में हेपेटाइटिस बी व सी फैल रहा है। झोलाछाप वाले भी एक ही सिरिंज का बार-बार प्रयोग करते हैं। उन्हाेंने बताया कि हेपेटाइटिस बी और सी से संक्रमित व्यक्ति में पहले से कोई लक्षण नहीं दिखते। लेकिन, जब वह यूरिन जांच कराता है तब पता चलता है। फिर धीरे-धीरे यह संक्रमण लीवर कैंसर में बदल जाता है।

ऐसे फैलता है हेपेटाइटिस बी और सी

एचआईवी की तरह, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस भी फैलते हैं।
इंजेक्शन लगाने के लिए एक ही सिरिंज को एक से अधिक बार प्रयोग होने से।
यदि कोई गर्भवती संक्रमित है तो उसके शिशु को भी संक्रमण संभव है।
संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है।
नशे के इंजेक्शन लेने वालों में फैलता है।
संक्रमित व्यक्ति का रक्त दूसरे के चढ़ाने पर वह भी संक्रमित हो जाता है।

Related Articles

Back to top button