- जस्टिस की टिप्पणी, संविधान की धारा के प्रयोग पर गम्भीर व्याख्या की आवश्यकता
काठमांडू। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को न्यायाधीश ने संवैधानिक बेंच में भेजने का फैसला किया है। न्यायाधीश ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि संविधान की धारा की गम्भीरता के साथ व्याख्या करने की आवश्यकता है।
निवर्तमान प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड की तरफ से दायर रिट पर सुनवाई होने के बाद न्यायाधीश बालकृष्ण ढकाल ने इस पर आखिरी फैसला के लिए रिट को संवैधानिक बेंच में भेजने को कहा है। प्रधानमंत्री ओली की नियुक्ति और शपथग्रहण को अवैध ठहराते हुए यह रिट दायर की गई है।
सरकार का गठन करने के लिए राष्ट्रपति की तरफ से संविधान की जिस धारा का प्रयोग किया गया है, उसे ही याचिका में अवैध ठहराया गया है। निवर्तमान प्रधानमंत्री का भी संविधान की धारा 76(2) के तहत चयन किया गया था। याचिका में सहयोगी दलों की तरफ से समर्थन वापस लेने के बाद संविधान की अगली धारा यानि 76(3) के तहत सबसे बड़े दल के नेता को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करने की मांग की गई है। इस समय प्रधानमंत्री ओली संविधान की धारा 76(2) के तहत ही प्रधानमंत्री बने हैं, जिनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई है। इस याचिका में राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री केपी ओली को विपक्षी बनाया गया है।