गोण्डा, मुहर्रम मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण पर्व है और इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है. इस महीने का दसवां दिन जिसे आशूरा के रूप में मनाया जाता है, जो मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन को मातम और शोक के रूप में मनाते हैं. इसी दिन कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. इस महीने को इमाम हुसैन की मौत के मातम के रूप में याद किया जाता है 9 वी मोहर्रम को जनपद गोण्डा में कई सालों से खानदानी परम्पराओ की तरह मुहर्रम को मानते चले आ रहे है गोण्डा के राजेंद्र नगर मोहल्ले के रहने वाले अज़हरुद्दीन आज़म कई सालों से तजिया रखते चले आ रहे है और इमाम हुसैन की सहादत को याद करके शोक व्यक्त करते चले आ रहे है मुहर्रम के दिन लोग गमजदा होकर ताजिए निकालते हैं और दुख प्रकट करते हैं. इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 17 जुलाई को दुनिया भर में आशूरा मनाया जाएगा. आशूरा के दिन ही ताजिए निकाले जाते है और ताजियादारी की जाएगी. आशूरा यानी मुहर्रम के माह के दसवें दिन इस्लाम की रक्षा करने वाली कर्बला की जंग में इमाम हुसैन सबसे छोटे लड़के थे, जो लड़ते हुए शहीद हो गए थे. जिनकी सहादत को तजियादार लोग याद करते है इसी प्रकार से आज़म ने भी गोण्डा देहात कोतवाली के पास तजिया रखकर इमाम हुसैन की सहादत को याद किया और आज़म 9 व 10 मुहर्रम को रोज़े भी रखते है जब इस संबंध में आज़म से जानकारी ली गयी तो उनके द्वारा बताया गया कि हमारे पुरखो से यह कार्यक्रम चला आ रहा है जिसे हमने अभी तक बरकरार रखा है ये त्योहार को हम शांति पूर्व तरीके से मनाते है और लोगो भी जागरूक करते है