नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के मुस्लिम तालकशुदा महिलाओं को भी गुजारा भत्ता देने के फैसले के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक आज रविवार को है। यह बैठक दिल्ली में हो रही है, जिसमें देशभर के 50 से अधिक धार्मिक गुरु और कानून के जानकार शामिल होंगे।
बोर्ड से जुड़े लोगों ने बताया कि इस बैठक में तय किया जाएगा की सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में क्या रणनीति अपनानी है । वैसे माना यह जा रहा है कि इस फैसले के विरोध में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा कानूनी रास्ता अख्तियार किया जा सकता है और इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। बड़े बेंच में सुनवाई की मांग की जा सकती है।
दरअसल संविधान के अनुसार नागरिकों में कानून के आधार पर भेदभाव न करने तथा सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया है। फैसला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गुजारा भत्ता भीख नहीं यह महिलाओं का अधिकार है। लेकिन मुस्लिम संगठनों को यह रास नहीं आ रहा है क्योंकि शरिया कानून के अनुसार में तलाक के तीन माह तक की महिलाओं को पूर्व पति द्वारा गुजारा भत्ता देना का प्राविधान है।
वैसे सुप्रीम कोर्ट का या फैसला कोई पहली बार नहीं है जो मुस्लिम महिलाओं के हक में गया है। इसके पूर्व भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का फैसला दिया था लेकिन तब केंद्र में राजीव गांधी की सरकार हुआ करती थी।
AIMPLB ने तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को भी झुकाया
पिछली बार जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में ऐसा ही फैसला आया था तब मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ही विरोध की आवाज बुलंद कर राजीव गांधी सरकार को झुका दिया था। तब सरकार ने 1986 में संसद के जरिए कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। लेकिन आज वह स्थिति नहीं है। वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार को महिलाओं के अधिकार को लेकर कई ऐतिहासिक फैसले लेते देखा गया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस महत्वपूर्ण बैठक में तय होगा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता का अधिकार देने के मामले का विरोध कैसे होगा तय होगा। यह तय करते समय सरकार के रुख को भी ध्यान में रखा जाएगा। इस बैठक में जमीयत के मौलाना अरशद मदनी समेत देशभर के प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे।