नई दिल्ली। सैन्य इंजीनियर सेवा (एमईएस) के प्रोबेशनर्स ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि एमईएस भारतीय सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण इकाइयों में से एक है, क्योंकि यह न केवल भारतीय सेना की तीनों सेनाओं की सेवा करती है बल्कि रक्षा मंत्रालय की कई अन्य इकाइयों को भी अपनी सेवाएं प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि एमईएस का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमारे रक्षा बलों के पास मजबूत बुनियादी ढांचा और अच्छी सुविधाएं बनी रहें। इसलिए एमईएस अधिकारियों की सफलता की कसौटी यह होगी कि उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली बुनियादी संरचना या सुविधाएं विश्वसनीयता और गुणवत्ता के मानकों पर खरी उतरती हैं।
राष्ट्रपति ने एमईएस अधिकारियों को हमेशा सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अपनी सेवाओं में उच्चतम गुणवत्ता बनाए रखकर अपना सम्मान अर्जित करना होगा।
राष्ट्रपति ने एमईएस अधिकारियों से कहा कि बुनियादी ढांचे का निर्माण करते समय उन्हें जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुकूलन और शमन को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि वे जो काम करेंगे उसका कार्बन फुटप्रिंट न्यूनतम होना चाहिए। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि एमईएस इस दिशा में प्रयास कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एमईएस अधिकारियों की जिम्मेदारी केवल तकनीकी ही नहीं बल्कि नैतिक और प्रबंधकीय भी है। उन्हें यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके हर काम में देश के संसाधनों का कुशल और प्रभावी उपयोग हो। उन्होंने कहा कि उनकी कार्यकुशलता और नैतिकता से राष्ट्र की सुरक्षा मजबूत होगी।