बारिश के बीच महंगी हुई सब्जियां, टमाटर सौ रुपये के पार, आलू- प्याज के दाम भी आसमान पर

  • टमाटर बिक रहा 100 से 120 रुपये किलो तो आलू 40-45 और प्याज़ 50 रूपये किलो

आढ़तियों ने डंप किया टमाटर, प्याज़ और आलू प्रशासन बेपरवाह

बीकेटी लखनऊ- लगभग लखनऊ में मानसून के छा गया है। झमाझम बारिश के बीच आलू, टमाटर और प्याज के भाव आसमान छूने लगे हैं, जिससे आम लोगों के घर का बजट बिगड़ने लगा है। खुदरा मार्केट में टमाटर शतक लगा चुका है। राजधानी और आसपास के इलाकों में हुई बारिश के बाद बीते 7-8 दिनों में ही सब्जियों के दाम लगभग दोगुने हो गए हैं। मानपुर गल्ला मंडी, दुबग्गा,शहर व देहात,की प्रमुख सब्जी मंडी में 100 से 120 रुपए किलो टमाटर, प्याज़ 50 रूपये,आलू 40 रूपये तो घनिया 400 रुपए किलो तक बिक रहा है। किसान और व्यापारी बता रहे हैं कि बारिश के कारण सब्जियों की आबक कम होने के कारण भाव में तेजी दिखाई दे रही है।

बता दें कि हरी सब्जियों के बाद टमाटर, आलू और प्याज के बढ़ते दामों ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। बाजार में टमाटर 100 से 120 रुपये किलो तक पहुंच गया है तो वहीं, प्याज जो पिछले महीने तक 25 से 30 रुपये तक था, अब 45 से 50 रुपये किलो तक का मिल रहा है। सब्जियों का राजा आलू भी 40-45 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।बरसात के बीच सब्जियों के दाम नियंत्रण से बाहर हो गया हैं। पिछले 20 दिनों में सब्जियों के दाम में दोगुना से ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गई है । ये हाल सिर्फ हरी सब्जियों का नहीं है। आलू-प्याज की कीमतों में भी भारी इजाफा हुआ है। आलू 40-45 रुपये बिक रहा है तो दूसरी सब्जियां परवल, बैगन भी 80, से 100,रुपये प्रति किलो से ऊपर ही मिल रही है। वहीं धनिया पत्ती 400 रुपये किलो बिक रही है। लहसुन भी 240 रुपये तक पहुंच गया है। नेनुआ 40 से 45 रुपये के भाव में बाजार में बिक रहा है।फूलगोभी भी 80 रुपये प्रति पीस है। शासन के निर्देश के बाद भी सब्जी विक्रेता टमाटर,आलू औऱ प्याज़ डंप कर मनमानी दर पर इसे दुकानों पर बेचते नजर आ रहे हैं । थोक विक्रेता से लेकर फुटकर विक्रेता तक आलू हो या अन्य सब्जी सभी मनमानी ढंग से ग्राहकों से दाम वसूल कर रहे हैं।

बिचौलियों की वजह से बढ़ रहा दाम

व्यवसायिक खेती करने वाले इटौंजा निवासी सुरेश कुमार का कहना है कि बिचौलियों की वजह से सब्जियों के दाम में वृद्धि हो रही है। प्रशासन को इसके नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए है। हम किसान हैं उपज लागत के साथ 10 से 20 प्रतिशत लाभ लेकर फसल की बिक्री करते हैं। बिचौलिया उसी सामान को 30 से 40 प्रतिशत लाभ लेकर बिक्री करते हैं, जिसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं भुगतना पड़ता है।

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