भ्रष्टाचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठाना पड़ा घातक

मनमाने निलम्बन पर न्यायालय का स्थगन

हैदरगढ़ (बाराबंकी) बेसिक शिक्षा विभाग अपने अजब गजब कारनामे के लिए हमेशा जाना जाता रहा है जहां पर शिक्षकों की माने तो अधिकारियों की मनमानी इस कदर है कि “जिसकी लाठी उसी की भैंस” मतलब जैसा वह चाहे वैसे नियमों को तोड़ मरोड़ करके अपने तरीके से इस्तेमाल कर शिक्षकों की शोषण के खिलाफ उठाई गयी आवाज के विरुद्ध ही कार्यवाही कर दी जाती है अगर माननीय न्यायालय न हो तो इंसाफ की उम्मीद बेकार है।

विकासखंड हैदरगढ़ के एक मामले के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार गौड़ की मनमानी, शिक्षकों के शोषण के लिए अपने चाहते शिक्षकों को अवैध रूप से बीआरसी में अटैच करके धनउगाही के लिए पूर्ण समर्थन देते हैं जिस पर प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष के आवाज उठाने पर शिक्षक को ही जोड़ तोड़ और फर्जी तरीके से अधिकारी द्वारा खुद शिकायत कराके आवाज उठाने वाले शिक्षक के विरुद्ध ही मनमानी तरीके से नियम विरुद्ध निलम्बन का आदेश पारित कर दिया गया। बताते हैं कि प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह प्राथमिक विद्यालय दुला का पुरवा मे कार्यरत है। इनके द्वारा कुछ माह पहले खंड शिक्षा अधिकारी की मनमानी को लेकर के और उनके द्वारा अपने चहेते शिक्षको को अवैध रूप से कार्यालय मे अटैच करने और मनमाने आदेश सहित इनके द्वारा शिक्षकों के शोषण और धन उगाही को लेकर के विरोध दर्ज कराया गया था।

जिसके बाद रंजिशन सांठ गाँठ करके परेशान करने की नियत से खंड शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार गौड़ द्वारा फर्जी हस्ताक्षर व फर्जी शिकायती पत्र के जरिए शिकायत की गई। जिस पर संबंधित शिक्षक धीरेंद्र प्रताप सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया व शिक्षक द्वारा नियमानुसार अपना पक्ष रखने के बाद भी अधिकारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि उसका संज्ञान न लेकर के मनगढ़ंत और फर्जी तरीके से कूट रचना करके खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा ग़लत आख्या बनाकर मनमाने तरीके से निलंबन आदेश पारित कर दिया गया। जब शिक्षक को इस मनमाने आदेश की जानकारी मिली तो उसने माननीय न्यायालय का रुख किया जहां पर माननीय न्यायालय द्वारा शिक्षक के द्वारा प्रस्तुत अभिलेख और अधिवक्ता की दी गयी दलील के दम पर मामला प्रथम दृष्ट्या संदिग्ध मानते हुए निलंबन आदेश पर स्थगन का आदेश जारी कर दिया।

“निलम्बन तिथि के एक माह पहले का रोका वेतन”

निलम्बन के बाद जानकारी यह भी मिली कि उक़्त शिक्षक को दिया जाने वाला निर्वाह भत्ता भी मनमाने तरीके से अधिकारियों की तानाशाही के दम पर नियम विरुद्ध तरीके से रोक दिया गया जबकि 27 जून 2024 के जारी निलंबन आदेश में साफ-साफ जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का आदेश जारी किया गया था और तो और शिक्षक के बीमार होने पर उसके द्वारा कई बार चिकित्सीय अवकाश के लिए आवेदन किया गया लेकिन अधिकारियों को उनकी भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैया के खिलाफ शिकायत करना इतना नागवार गुजरा की उन्होंने बीमार शिक्षक के मेडिकल अवकाश को भी स्वीकृत नहीं किया। कई शिक्षकों का कहना है कि सुनील कुमार गौड़ भ्रष्टाचार शैली में इस कदर लिप्त है कि अपने चाहते शिक्षकों को कार्यालय में अटैच करके रखा गया उनसे सरकारी काम लिया जाता रहा और अवैध धन उगाही की जाती रही जो की सीसीटीवी कैमरे की निगरानी के बाद व विद्या समीक्षा केंद्र पर शिकायत के बाद भी बदस्तूर जारी है। जिसका परिणाम है कि आवाज उठाने पर प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष को इसका इनाम निलंबन आदेश के जरिए दिया गया। शिक्षको मे इसको लेकर रोष है जिस पर संगठन अपना विरोध दर्ज करायेगा।

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