- फलपट्टी क्षेत्र के गांवों में नियम विरुद्ध किया जा रहा लैंडयूज चेंज कर कृषि भूमि को अकृषिक
- कृषि एवं बागवानी वाले बड़े-बड़े भूखंडों पर विकसित की जा रहीं आवासीय कालोनियां
- फलपट्टी की अधिसूचना के मुताबिक फलपट्टी घोषित क्षेत्र में नहीं लागू होते हैं धारा 80 के प्रावधान
लखनऊ- शासन-प्रशासन में बैठे अधिकारी मनमानी कर किस तरह भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं, यह बीकेटी की फलपट्टी में जाकर देखा जा सकता है। व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित इस फलपट्टी में पिछले डेढ़ दशक के दौरान नियम विरुद्ध लैंडयूज चेंज किया जाता रहा। कृषि भूमि को अकृषिक बनाकर कॉलोनियां काटी जा रही हैं। इसमें कॉलोनाइजरों, बिल्डरों एवं प्रापर्टी डीलरों को जमकर फायदा पहुंचाया जा रहा है। इतना ही नहीं फलपट्टी के आस-पास के बफर जोन को भी नहीं बख्शा गया है।बीकेटी तहसील के उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार की खाऊ कमाऊ नीति के चलते हरी भरी आम की बागों में धड़ल्ले से फलपट्टी क्षेत्र में कंक्रीट के जंगल उगाये जा रहे हैं।
जिसका जीता जागता उदाहरण ग्राम पंचायत भवानीपुर की भूमि खाता संख्या 0013 की अंकित गाटा संख्या 16 रकबा 1.9420 हेक्टेयर पर राजस्व अभिलेखों (खसरा)में 124 पेंड़ आम, 02 पेंड़ सागौन व एक पेंड़ बेल का दर्ज है। भवानीपुर गांव फलपट्टी में शामिल है, उक्त बाग में प्रापर्टी डीलरों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से वन विभाग औऱ उद्यान विभाग ने 16नवंबर 2023 को पेंड़ काटने की अनुमति दे दी, तो तहसील प्रशासन ने 10 जून 2024 को उक्त बाग भूमि को अकृषिक घोषित कर दिया। अब उक्त भूमि पर हरे भरे फलदार पेंड़ों को काटकर वीफा डेवलपर्स एलएलपी द्वारा गैरकानूनी तरीके से आवासीय कालोनी विकसित की जा रही है।
गौरतलब हो कि फलपट्टी क्षेत्र में कृषि एवं बागवानी वाले बड़े-बड़े भूखंडों में कॉलोनाइजर जो फ्लैट, मकान बनाकर धड़ाधड़ बेच रहे हैं,और इस प्रतिबंधित जमीन पर प्लॉट काट-काट कर कर दुकानदारी चला रहें हैं।फलपट्टी क्षेत्र में बागवानी व कृषि वाली उपजाऊ जमीनों को जिम्मेदार अधिकारी अधिक धन कमाने की चाहत में नियमों को दरकिनार कर प्रापर्टी डीलरों,कॉलोनाइजरों और बिल्डरों के लिए अनियमितता करने के सारे रास्ते खोल दिए जा रहें हैं।जिसके फलस्वरूप आज बीकेटी फलपट्टी और उसके आस-पास बने बफर जोन में विभिन्न पार्टियों से जुड़े नेताओं के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। भ्रष्टाचार का यह खेल आज से नहीं बल्कि कई वर्षो से ही जारी है।जबकि वर्ष 1997 में बीकेटी के 82 गांवों को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की अधिसूचना संख्या 402/उद्यान अनुभाग-1-1997/19 फ़रवरी 1997 के जरिये फलपट्टी संरक्षण एवं फलदार वृक्ष संवर्धन के तहत फलपट्टी घोषित किया गया था। इसमें निजी आवास को छोड़कर कॉलोनी, उद्योग, व्यावसायिक निर्माण को प्रतिबंधित किया गया था। इसके अलावा आस-पास के तीन किलोमीटर क्षेत्र को भी बफर जोन में शामिल किया गया। लेकिन वर्ष 1997 के बाद इसका उल्लंघन कर बड़े स्तर पर बगीचों में कॉलोनियों की अनुमति प्रदान कर अवैध रूप से धारा 80 की कार्रवाई की जाती रही। जबकि जिस क्षेत्र को फलपट्टी क्षेत्र घोषित किया जाता है, उसके अंतर्गत धारा 80 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।वहीं 1997 से लेकर जून 2024 तक सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि को धारा 80 के अंतर्गत (अकृषिक) किया जा चुका है। जबकि पिछले तीन साल में बीकेटी के कठवारा, भवानीपुर, नवीकोट नंदना सहित अन्य गांवों में पचासों हेक्टेयर भूमि को धारा 80 के अंतर्गत अकृषिक कर प्रापर्टी डीलरों, बिल्डरों और कॉलोनाइजरों पर मेहरबानी कर दी गई। लेकिन यदि अधिकारियों की मिलीभगत से फलदार पेड़ काटने के साथ ही कृषि योग्य भूमि को अकृषिक घोषित किए जाने पर यदि तत्काल रोक नहीं लगाई गई तो बीकेटी का यह फलपट्टी क्षेत्र शीघ्र ही कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो जायेगा।
हरे पेड़ों पर लगातार चल रही आरियां
बीकेटी के 82 गांव फलपट्टी क्षेत्र घोषित होने के बाद भी फलपट्टी क्षेत्र की हरियाली खत्म कर कंक्रीट के जंगल उगाने के लिए प्रापर्टी डीलरों, बिल्डरों एवं वन माफियाओं द्वारा फलदार वृक्षों का अवैध कटान किया जा रहा है।हरे भरे फलदार बेजुबान पेड़ों पर आरियां चलती रहती हैं और प्रशासन सोता रहता है। हालांकि इस मामले में अभी तक उद्यान विभाग ने किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं कराया गया है।यहां तक कि वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत सिंह तोमर ने फलपट्टी संरक्षण का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचाया था।हाईकोर्ट ने जयंत तोमर की याचिका पर सुनवाई करते हुए फलपट्टी में हरे भरे पेंड़ों के कटान पर रोक लगा दी थी।बावजूद इसके बगीचों के कटान होते रहते हैं और बाग की जमीन पर कंक्रीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं।
जिलाधिकारी की भूमिका पर भी सवालिया निशान
जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार अपनी सक्रियता और लोकप्रियता के मामले में जितना सुर्खियों में रहते हैं, उतना ही वह अधिकारियों पर लगाम लगाने के लिए भी जाने जाते हैं।इस दौरान कई बार उनका बीकेटी में आगमन भी हुआ। लेकिन क्या यह संभव है कि बीकेटी के फलपट्टी और बफर जोन में जमीन गड़बड़झाले की उनको कानोंकान खबर तक ना पहुंची हो। चर्चा तो यहां तक भी है कि बीकेटी के उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार ने अपने रसूख के बल पर श्री गंगवार को प्रभावित किया।जिसके चलते वह शिकायतों के बाद भी रहस्मय चुप्पी साधे हुए हैं।