मथुरा। कान्हा की नगरी में देश-दुनिया से श्रद्धालु आ रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए आवागमन बेहतर किया जा रहा है। वर्ष 2016 में मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने बरसाना में रोप-वे के संचालन के लिए राधारानी रोपवे नई दिल्ली के साथ अनुबंध किया था।
करीब 15 करोड़ की यह परियोजना पीपीपी मॉडल पर क्रियान्वित की गई है। करीब आठ वर्ष तक कई प्रकार की बाधाओं के बाद अब यह परियोजना पूरी हो सकी है। ट्रॉयल शुरू किया गया है। जल्द ही राधारानी मंदिर के दर्शन श्रद्धालु रोप-वे से कर सकेंगे।
भविष्य में श्रद्धालु वृंदावन और मथुरा के मंदिरों के दर्शन सड़क मार्ग के स्थान पर रोप-वे से कर सकें, इसके लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद रोप-वे की तैयारी कर रहा है। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने नेशनल रोपवे डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री के साथ मिलकर वृहद रोप-वे का प्रस्ताव तैयार किया है।
रोप-वे का प्लान तीन चरण में पूरा होगा
प्रथम चरण में ये छटीकरा मार्ग पर वैष्णो देवी मंदिर से शुरू होकर बांकेबिहारी जी मंदिर होकर दारुक पार्किंग तक जाएगा। इनके मध्य चंद्रोदय मंदिर, मल्टीलेवल पार्किंग, प्रेम मंदिर, इस्कान मंदिर, अटल्ला चुंगी तक आठ स्टेशन बनाए जाएंगे।
प्रथम फेस के रोपवे की यात्रा आठ स्टेशन से गुजरते हुए 32 मिनट में पूरी होगी। इसकी स्पीड छह मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। 1500 से 2000 व्यक्ति प्रति घंटा रोपवे में सफर कर सकेंगे।
द्वितीय चरण में रामताल पार्किंग और वृंदावन बाइपास तक इसका विस्तार किया जाएगा।
तृतीय चरण में इसे मथुरा तक विस्तारित किया जाएगा। इस में बिरला मंदिर, द्वारकाधीश और श्रीकृष्ण जन्म स्थान तक रोप-वे पहुंचेगा। इसकी ऊंचाई मास्टर प्लान में निर्धारित भवन निर्माण की अनुमति से 10 मीटर ऊंची होगी।
प्रथम चरण की प्रस्तावित लंबाई 7.9 किमी है।
इस प्रकार प्रथम चरण में लगभग 600 से 800 करोड़ रुपये व्यय होने की संभावना है।
परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह का कहना है कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोप-वे के निर्माण की योजना तैयार की जा रही हैं।