लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने गेहूं का एम.एस.पी. 2275 रुपये तय किया था, पर बाजार में किसानों को यदि इससे अधिक भाव मिल रहा है तो यह एक सुखद समाचार है। क्योंकि एम.एस.पी. का अर्थ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य है अर्थात कोई भी इस मूल्य से कम मूल्य पर किसान से उस उपज को नहीं खरीद सकता है और यही हो रहा है।
किसानों को एम.एस.पी. से अधिक मूल्य खुले बाजार में मिल रहा है तो लाभ तो किसानों का ही हो रहा है और हम यही चाहते हैं कि अंतिम वास्तविक लाभ किसानों का हो। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 2.19 लाख टन गेहूं की ख़रीद सरकार के द्वारा की गई थी जबकि वर्ष इस वर्ष 9.30 लाख टन गेहूं की ख़रीद सरकार द्वारा की गई है अर्थात 7.20 लाख टन अधिक गेहूं ख़रीदा गया है।
प्रदेश में लगभग 350 आटा मिले हैं जो लगभग 4 लाख टन गेहूं प्रतिमाह किसानों से ख़रीदती है तो इसका सीधा लाभ किसानों को ही मिलेगा। हां, यदि सरकार किसानों को एम.एस.पी. के साथ 100-125 रुपया प्रति क्विंटल बोनस की भी व्यवस्था कर देती तो यह एक क्रांतिकारी व कल्याणकारी क़दम होता। हम प्रदेश सरकार से यह मांग करेंगे कि वह किसानों के कल्याण के लिए कटिबद्ध है और तमाम सारी योजनाएं व नीतियां कृषक हित में बनायी जा रही है तो उसमें बोनस को भी समाहित करना किसानों के लिए एक बहुत बड़ा लाभकारी क़दम होगा। इससे सरकारी ख़रीद भी बढ़ेगी। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि हम किसानों की समस्याओं से वाक़िफ़ है और सरकार में रहकर हम उनके निराकरण के लिए काम कर रहे हैं जिसके सकारात्मक परिणाम शीघ्र ही सामने होंगे।