मां गंगा व भगवान सूर्यदेव का किया पूजन-अर्चन
गंगा दशहरा को मां गंगा का धरती पर हुआ था आगमन
भगीरथ के पुरखों का मां गंगा ने किया था उद्धार
बलिया। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। रविवार को भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जनपद के श्रीरामपुर, महाबीर घाट, भरौली, उजियार घाट, पचरूखिया, हुकुम छपरा, रामगढ, दुबेछपरा व गोपालपुर घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद गंगा मैया का पूजन-अर्चन तथा भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दान पुण्य किया। वही हर-हर गंगे, जय मां गंगे के जयघोष भी लगाए।
मान्यता है कि राजा सागर के पुत्रों का उद्धार करने के लिए राजा भागीरथ हजारों साल तपस्या करके गंगा को स्वर्ग लोक से आज ही के दिन धरती पर लाए थे। भागीरथ के प्रयास से गंगा शिव की जटाओं से होती हुई आज ही के दिन धरती पर आई और भगीरथ के पुरखों का उद्धार किया था। सनातन धर्म में गंगा दशहरा का काफी महत्व है। गंगा दशहरा यानी मां गंगा के स्वर्ग से धरती पर आने का दिन है। मां गंगा की पूजा करने से लोगों पर उनकी असीम कृपा होती है एवं मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।