लोकसभा चुनाव में हार के बाद मायावती की पहली प्रत‍िक्रि‍या आई सामने

नई द‍िल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई। जनादेश सामने आने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती की पहली प्रत‍िक्रि‍या सामने आई है। मायावती ने सोशल मीड‍िया पर एक पोस्‍ट के जर‍िए मुस्‍ल‍िम समाज को लेकर नाराजगी जाह‍िर की है।

मायावती ने कहा, ”इस लोकसभा चुनाव में और पिछले चुनावों में भी मुसलमानों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया, लेकिन हमें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला और वे हमें ठीक से समझ नहीं पाए। इसलिए अब से हम सोच-समझकर ही उन्हें मौका देंगे, ताकि पार्टी को ऐसा नुकसान न हो।”

बसपा ने जारी क‍िया प्रेस नोट

चुनाव में हार क बाद मायावती ने प्रत‍िक्र‍िया देते हुए कहा, जैसा कि सर्वविदित है कि देश में 18वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में हुआ आमचुनाव अब लगभग ढाई महीने के लम्बे समय के बाद, आज चुनाव परिणाम के साथ अपने समापन पर है जबकि हमारी पार्टी चुनाव आयोग से शुरू से ही यह माँग करती रही है कि चुनाव बहुत लम्बा नहीं खिंचना चाहिए, बल्कि आम लोगों के हितों के साथ-साथ, चुनाव ड्यूटी में लगने वाले लाखों सरकारी कर्मचारियों तथा सुरक्षाकर्मियों आदि के व्यापक हित व सुरक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए यह चुनाव अधिक से अधिक तीन या चार चरणों में ही कराया जाना चाहिए था।

किन्तु ऐसा न होने पर लोकसभा का यह चुनाव लगभग पूरे समय ख़ासकर ज़ोरदार गर्मी की तपिश से जनजीवन के अस्त-व्यस्त होने के कारण काफी ज्यादा प्रभावित रहा है। विशेषकर ग़रीब तबकों व अन्य मेहनतकश लोगों के चुनावी उत्साह में भी काफी कुछ फर्क पड़ने के कारण, उम्मीद के विपरीत, वोट प्रतिशत भी काफी प्रभावित हुआ है। जो चिन्ता का प्रमुख कारण बना रहा और यह लगातार मीडिया की सुर्खियों में भी रहा। ऐसे में यह उम्मीद की जाती है कि लोकतंत्र व आमजन के व्यापक हित के मद्देनज़र, आगे चुनाव कराते समय चुनाव आयोग द्वारा लोगों की इन ख़ास परेशानियों को ज़रूर ध्यान में रखा जाएगा।

इसके अलावा, चुनाव के दौरान देश भर में लगभग पूरे समय मंहगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि से त्रस्त लोगों में यह आम चर्चा रही कि यदि चुनाव फ्री एण्ड फेयर हुआ व ईवीएम (EVM) में कोई गड़बड़ी आदि नहीं हुई तो फिर चुनाव परिणाम निश्चय ही, ख़ासकर रूलिंग पार्टी के नेताओं के दावों के अनुसार नहीं होकर, चौंकाने वाला ज़रूर होगा।

और आज जब लोकसभा चुनाव का जो भी व जैसा भी नतीजा आया है वह लोगों के सामने है, और उन्हें ही, अब देश के लोकतंत्र, संविधान व देशहित आदि के बारे में सोचना और फैसला करना है कि यह जो चुनाव परिणाम आया है उसका आगे उन सबके जीवन पर क्या फर्क (असर) पड़ने वाला है तथा उनका अपना भविष्य कितना शान्त, व सुरक्षित रह पाएगा?

इसके अलावा, इस चुनाव में ख़ासकर यूपी की तरफ पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं और यहाँ भी जो परिणाम सामने आया है वह भी जनता के सामने है। हमारी पार्टी इसको गंभीरता से लेकर इसका हर स्तर पर गहराई से सही विश्लेषण करेगी और पार्टी व मूवमेन्ट के हित में जो भी ज़रूरी होगा तो उसको लेकर ठोस कदम भी उठाएगी क्योंकि बी.एस.पी. एक राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ लोगों के आत्म–सम्मान व स्वाभिमान का एक मूवमेन्ट भी है। इसीलिए हमारी प्रतिक्रिया भी विशुद्ध रूप से देश के लोकतंत्र व परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के संविधान की पवित्रता व मजबूती को समर्पित होगी, ताकि देश के करोड़ों गरीबों, शोषितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण तथा उनकी सुरक्षा एवं सम्मान आदि पर मंडराता ख़तरा दूर हो। इसका सबसे मूल व प्रभावी रास्ता स्वंय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने यह बताया है कि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके ही तरक्की के तमाम बंद दरवाज़े खोले जा सकते हैं, जिसके प्रति अपने संघर्ष, त्याग व बलिदान का खुद ऑकलन करते रहना बहुत ज़रूरी है, तभी भविष्य संवरेगा व सुधरेगा भी।

और अब मेरा यही कहना है कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्तों पर चलकर पूरी लगन, निष्ठा व ईमानदारी के साथ मेहनत से कार्य करना ही अपना मिशनरी धर्म है । हमारी इसी सोच व शक्ति ने सदियों से शोषित व उपेक्षितों को आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान के साथ जीने के लिए संघर्ष करते रहना सिखाया है और सरकार बनने पर ‘सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक तरक्की’ के तहत् उनके जीवन को काफी हद तक बदला भी है । इसीलिए इनको अपना भविष्य संवार कर देशहित को बढ़ावा देने का मिशनरी काम बिना थके, रुके व हारे अर्थात् हर हाल में पूरी तत्परता के साथ लगातार जारी रखना है तब फिर बेहतर जीवन का रास्ता ज़रूर निकलेगा।

और अब अन्त में मेरा यही कहना है कि इस बार चुनाव में अपनी पार्टी बी.एस.पी. का अकेले ही, पार्टी से जुडे लोगों के बलबूते पर बेहत्तर रिज़ल्ट के लिए जो हर सम्भव पूरा-पूरा प्रयास किया गया है जिसमें खासकर दलित वर्ग में से मेरी खुद की जाति के लोगों ने अधिकांश अपना वोट बी.एस.पी. को देकर जो अपनी अहम् मिशनरी भूमिका निभाई है। तो उनका भी मैं विशेषकर पूरे तेहदिल से आभार प्रकट करती हूँ। साथ ही बहुजन समाज पार्टी का खास अंग मुस्लिम समाज जो पिछले कई चुनावों में व इस बार भी लोकसभा आमचुनाव में उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद भी बी.एस.पी. को ठीक से नहीं समझ पा रहा है तो अब ऐसी स्थिति में आगे इनको काफी सोच समझ के ही चुनाव में पार्टी द्वारा मौका दिया जायेगा। ताकि आगे पार्टी को भविष्य में इस बार की तरह भयंकर नुकसान ना हो, इन्हीं खास बातों के साथ ही अब मैं अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ

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