अलीगढ़। जम्मू हादसे में मृत 22 में से 11 शवों का तीसरे दिन शनिवार की रात नाया गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। सभी की एक साथ चिताएं जलते ही हर ओर चीखें गूंजने लगीं। करीब 55 घंटे से इंतजार कर रहे लोगों का सब्र जवाब दे गया। भीड़ को संभालना प्रशासन के लिए मुश्किल काम हो गया।
सभी शव ट्रेन से मथुरा लाए गए और वहां से एंबुलेंस द्वारा गांव लाए गए। इस गांव का एक शव और हाथरस के गांव मझोला, उदयसिंह नगला के 10 शव झेलम एक्सप्रेस से लाए जा रहे हैं। 10 घंटे देरी से चलने के कारण ट्रेन देर रात तक आ सकेगी। इन शवों का अंतिम संस्कार सुबह होगा।
28 को बस से गए थे धार्मिक यात्रा पर
28 मई को तीर्थयात्रा पर रवाना हुई बस में 45 यात्री अलीगढ़ और 25 हाथरस के थे। गुरुवार को शिवखोड़ी धाम पहुंचने से पहले ही बस खाई में गिर गई। इस हादसे में दोनों जिलों के 22 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद तीनों गांवों में मातम पसरा हुआ है। शनिवार देर शाम शव गांव में पहुंचे तो गांव एक बार फिर चीत्कारों से सहम गया। एक साथ 11 शव देखकर स्वजन ही नहीं ग्रामीण भी आंसू नहीं रोक पाए।
नगला उदय सिंह में धर्मवती की बेटी गीता रोते-रोते बेहोश हो गईं। मृत यश की मां मंजू देवी भी बार-बार इकलौते बेटे की याद में सुध-बुध खो रही हैं। गांव मझोला में भी करुण क्रंदन है। मृतक रनवीर की मां संतोष देवी को सांत्वना देने वाले खुद भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।
घायल गांव पहुंचे तो उमड़ पड़ी भीड़
शव आने के बाद सबसे अधिक भीड़ नाया गांव में जुटी। घायल भगवान सिंह गांव नाया पहुंचे तो चीखें तेज हो उठीं। उनका हाल जानने को भीड़ उमड़ पड़ी। हादसे में इस गांव के 35 लोग घायल हुए थे। प्रशासन ने गांव में ही मेडिकल कैंप लगाया है।
डीएम विशाख जी. और एसएसपी संजीव सुमन सहित सभी अधिकारी व्यवस्था बनाने में जुटे रहे। डीएम का कहना है कि रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। शेष लोगों के शव भी शनिवार देर रात या रविवार सुबह तक गांव में पहुंच जाएंगे। इस दौरान प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह, राजस्व मंत्री अनूप प्रधान मौजूद रहे।
20 दिन पहले बच गई थी रुद्र की जान, हादसे ने पूरे परिवार के ले लिए प्राण
हादसे में सबसे अधिक प्रभावित लक्ष्मण सिंह का परिवार हुआ, जो अपनी पत्नी अन्नू व बेटा रुद्र व बेटी नैना के साथ दुनिया को अलविदा कह गए। अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे लक्ष्मण के बड़े भाई सोनवीर बोले कि अभी 20 दिन पहले ही रुद्र के गले में पांच रुपये का सिक्का फंस गया था।
डाक्टर ने आपरेशन की बात कह दी। फिर लक्ष्मण ने माता वैष्णो देवी का नाम लिया। कुछ घंटों में लघुशंका के रास्ते सिक्का निकल गया। उस समय तो रुद्र की जान बच गई लेकिन, इस अनहोनी ने पूरे परिवार के प्राण ले लिए।
बेहद दुखद घटना है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के प्रयास किए जाएंगे। 11 शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। एक शव व 26 घायलों के झेलम एक्सप्रेस से रात 12 बजे के करीब मथुरा पहुंचने की सूचना प्राप्त हुई है। इनके इलाज के लिए सीएमओ स्तर से टीम गठित की गई है। पहली प्राथमिकता है कि जम्मू के अस्पताल में भर्ती घायल सकुशल वापस आ जाएं। हमारी टीम उनके संपर्क में है। फिर इस घटना के कारणों की जांच भी होगी। विशाख जी. डीएम अलीगढ़