- कल जिले के जैदपुर थाने की पुलिस ने किया था गिरफ्तार
बाराबंकी। मेरठ शहर के सपा विधायक रफीक अंसारी को कोर्ट ने मंगलवार को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत भेज दिया। बता दें कि एक दिन पूर्व जिले की जैदपुर थाने की पुलिस ने आरोपी विधायक को गिरफ्तार किया था। जिसे मंगलवार को मेरठ न्यायालय में पेश किया गया। यहां कोर्ट ने विधायक की जमानत अर्जी भी खारिज कर 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया। इन सपा विधायक पर आरोप है कि उनपर 1995 में जाम लगाने में FIR हुई थी। जिसमें NBW जारी हुए थे। इसीतरह मेरठ शहर की कई दुकानों में आगजनी के मामले में विधायक आरोपित है। इन्ही पुराने मामलों में 101 सम्मन जारी होने पर भी सपा विधायक रफीक अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए । फिर क्या हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। इसके बाद जिले की जैदपुर थाना पुलिस ने अहमदपुर टोल प्लाजा से विधायक को गिरफ्तार कर लिया।
आपको बता दें कि रफीक अंसारी मेरठ शहर से सपा से दूसरी बार विधायक बने हैं। मेरठ पुलिस की एक टीम विधायक को लेने के वहां से रवाना हो चुकी है। इसी महीने की शुरुआत में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1995 के एक मामले में रफीक अंसारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से साफ इनकार कर दिया था। कोर्ट के मुताबिक विधायक को 1997 से लेकर 2015 के बीच लगभग 100 गैर-जमानती वारंट जारी किए गए। इसके बाद भी वह ट्रायल कोर्ट में पेश नहीं हुए। विधायक ने आपराधिक मामले को खत्म करने के लिए कोर्ट से अपील की थी, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इस मामले में जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा था कि विधायक अंसारी के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट पर ध्यान न देना और उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति देना कानून व्यवस्था पर एक खतरनाक और गंभीर मिसाल कायम करेगा।
1995 का गिरफ्तारी वारंट
1995 में जब रफीक अंसारी पार्षद थे, तब बूचड़खाने को लेकर हंगामा हुआ था। इस दौरान तोडफोड़ का घटना भी सामने आई थी।मामले में 35 से 40 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें रफीक अंसारी का भी नाम है। मामले में सबसे पहले 1997 में वारंट जारी हुआ था। जिसके बाद से अब तक रफीक कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। उनको जारी किए गए वारंट लगभग 100 से ज्यादा हो चुके थे। रफीक अंसारी इस मामले में बचने के लिए हाई कोर्ट भी गए लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट से रद्द हुई अर्जी
विधायक रफीक अंसारी के वकील के मुताबिक अखिलेश यादव की सरकार में इस मामले को वापस भी दिया गया था। लेकिन कोर्ट ने मामले को खत्म नहीं किया था, जिसके बाद NBW जारी हुए। मेरठ पुलिस ने विधायक की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की थी। विधायक इस बात को लेकर के इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी गए। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1995 के मामले में मेरठ के रफीक को राहत देने से इनकार कर दिया और उनकी याचिका खारिज कर दी। रफीक अंसारी की याचिका में गैर जमानती वारंट के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसलिए कोर्ट ने इसको खारिज कर दिया। इसके बाद लगातार मेरठ पुलिस आरोपी विधायक की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही थी।