गोरखपुर। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से जुड़े 21 जिलों में आठ महीने में एक लाख से ज्यादा मीटर बदले गए हैं। कम समय में ज्यादा मीटर बदलने में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए जांच शुरू करा दी गई है। सभी परीक्षण खंडों के अधिशासी अभियंताओं से मीटर बदलने का कारण, किसके आदेश पर बदला गया मीटर, मीटर में दर्ज रीडिंग के आधार पर बिल बना या नहीं आदि बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है।
अचानक मीटर बदलने की रिपोर्ट मांगे जाने से परीक्षण खंडों में हलचल मची है। अभियंताओं के साथ ही सभी कर्मचारियों को रिपोर्ट तैयार करने में लगा दिया गया है। परीक्षण खंड में सुबह से देर रात तक बदले गए मीटरों का पूरा ब्योरा इकट्ठा किया जा रहा है। कई मीटरों के बदलने का रिकार्ड भी नहीं मिल रहा है। निर्देश है कि मीटर का इंडेंट भी जांच रिपोर्ट में शामिल किया जाए लेकिन इंडेंट नहीं मिल रहा है।
ऐसे बढ़ी गड़बड़ी की आशंका
ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों मीटरों की जांच में आइडेंटिफिकेशन डिफेक्ट (आइडीएफ) की रिपोर्ट लगा दी गई थी। नियमानुसार ऐसे मीटरों को बदल दिया जाना चाहिए लेकिन आइडीएफ में दर्ज मीटरों की बाद में बिल बना दी गई। बिल बनने के बाद उपभोक्ताओं ने रुपये भी जमा कर दिए। बाद में कहीं उपभोक्ताओं के आवेदन तो कहीं मीटर रीडरों की रिपोर्ट के बाद मीटरों को बदल दिया गया।
पहले खराब, बाद में ठीक और उसके बाद मीटर बदल दिए जाने से शक पैदा हुआ कि राजस्व को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। मीटर में रीडिंग स्टोर होने के कारण ऐसा किया गया है। इसके अलावा कई मीटरों को नो डिस्प्ले दिखाकर अचानक बदला गया। इन मीटरों का बिल मीटर रीडर हर महीने बना रहे थे। अभियंताओं की जांच में नो डिस्प्ले की रिपोर्ट के आधार पर इन्हें बदला गया।
कनेक्शन नंबर के आधार पर भी जांच
बिजली निगम ने कनेक्शन नंबर के आधार पर भी मीटर बदलने की जांच शुरू की है। परीक्षण खंडों को कनेक्शन नंबर भेजकर मीटर बदलने का पूरा कारण पूछा गया है। कई जगह बिना मीटर बदले ही मीटर बदलने की रिपोर्ट लगाने की भी बात सामने आ रही है।
यह जिले हैं शामिल
गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, वाराणसी, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, संतरबिदासनगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, मऊ, आजमगढ़, बलिया, प्रयागराज, प्रतापगढ़, फतेहपुर और कौशांबी कोट आठ महीने में बदले गए मीटरों का पूरा ब्योरा मांगा गया है। ब्योरा मिलने के बाद इसका परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। राजेंद्र प्रसाद, निदेशक तकनीकी, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड